तुझे छू कर....
पत्ते मुरझा से जाते,
फूल सुखने लगते,
नदियां सिहर सी जाती,
और ठंड हो जाती हवाएं।
तुझे छू कर...
जलने लगती चांदनी,
तारे शांत होने लगते,
राहें रूख़ बदल लेती,
और धीमी होने लगती लहरें ।
तुझे छू कर...
नम होती आंखें,
बढ़ती दिल की बेताबी,
धीमें होती सांसों की बेचैनी,
तरशती बाहों की दरमियां,
फिर भी तुम्हें छूना चाहती हूं,
रूह के छूने से जिस्म के छूने तक,
तुम्हें रोम रोम चुम्मना चाहती हूं,
हर शब से सहर तक तुम्हें देखना चाहती हूं,
कुछ पल जिंदगी के तुम्हारे नाम करना चाहती हूं।।
~ अलिशायरा🦋
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