अल्फाज़ मेरे   (kishu_krishh ✍️)
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Joined 1 August 2018


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तर्क से बेहतर है कर्म से जवाब दें
ताकि सामने वाला दोबारा प्रयास ना करे ऊँगली उठाने का

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सुनो!
तुम्हारे और मेरे लिखने में बस फर्क इतना सा रहा
तुमने "इश्क़" को "इश्क़" लिखा और मैने हर दफ़ा "इश्क़ को "बनारस"
❣️❣️

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सुनो!
तुम से शुरू और तुम पर ही खत्म मेरी हर एक कहानी
कुछ और नहीं बस यहीं है मेरी जिंदगानी

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लोग तो बेवजह ही खरीदते हैं आइने
आँख बंद करके भी अपनी हकीकत जानी जा सकती है

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सुनो!
तीन चीजें बहुत नाजुक होती है ना सम्हाल के रखा तो टुट जाती है
"कांच"," दिल", और "सपने "

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सुनो!
माना की दुर हो, पर सिर्फ नजरों से तुम मेरे
"जान" दिल की हर धड़कन मे शामिल हो तुम मेरे

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सुनो!
दुनिया , इंसान, मौसम सबको बदलते देखा पिया
पर नहीं बदले तो "तुम" और हमारा "इश्क़ बनारसियां"

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मेरी मेहनत से बगीचे में ,एक दिन सफलता के फूल भी महकेंगे
बदलेगी हाथों की लकीरे भी और गर्दीश के सितारे भी चमकेगें

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खुद को पढ़ता हूँ फिर छोड़ देता हूँ
एक पन्ना जिंदगी का मैं रोज मोड़ देता हूँ

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सुनो!
कुछ लोग खोने को प्यार कहते हैं तो कुछ पाने को प्यार कहते हैं
पर हकीक़त तो ये है,हम तो बस निभाने को प्यार कहते हैं

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