alfaaz_e_ zindagi   (The artist✍️✍️)
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Joined 15 December 2019


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Joined 15 December 2019
18 JAN 2021 AT 0:08

जो अगर,तु चुप हैं,,
तो कह के देखो तुम्हें उकसायें क्या!!
दिली हाल से यूं मेहरूम ना रहो मेरे,,
कहो तुम्हें बताये क्या!!
क्या कहा फिर से कहो,,
बिन तेरे जीना हैं मुझे!!
बातो को युं घुमाना क्या !
सीधे कहो ना,,मर जाये क्या!!


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3 DEC 2020 AT 18:01

जितना चाहू करू गलती,, हां मगर माफी तैयार होता है
करे जो ऐसा ! पगली,, वो दोस्त नहीं यार होता है!!😂😂

जानती होगी,, वो भी इन सभी बातों को,, हां मगर!
कहेगी नहीं
ये दोस्ती नहीं! !!मेरे पागल आशिक प्यार होता है😂😂

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30 NOV 2020 AT 17:52

हुस्न वालों को एक टूक नसीहत हैं

जरा कहर बरपाना कम करें
नखरे उठवाना हैं तो उठवा ले
ऐसे मोहब्बत में तड़पाना कम करें

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3 OCT 2020 AT 19:45

मेरी जान❤️❤️

मन में जब कभी कुछ भी आए,, सवाल कर लो😞😞
चाहे जो करो! पर यूं ना,, अपनी आंखें लाल कर लो😢
इल्म है अब तुम्हें मोहब्बत नहीं खुद मैं खुद से पर
जान-ए-अमानत दे रखी है तुझे!अपनी न सही मेरा ख्याल कर लो।।🤗

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10 SEP 2020 AT 16:00

उसकी अहमियत है क्या,, बताना भी जरूरी है
हैं उससे इश्क अगर तो,, जताना भी जरूरी हैं😅

अब काम अल्फाजों से तुम,, कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में,, डूब जाना भी जरूरी है🤩

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8 AUG 2020 AT 11:41

कैसी तन्हाई हैं,, तन्हा हूं,, बस देखने में ! हां मगर कभी तन्हा होता नहीं !!
बेशक निकलते हैं, अश्क😢 आंखों से मेरे। हां मगर दिल रोता नहीं।।
तेरी जो गुलाबी गाल, पंखुड़ि से होंठ और शोला सी दहकती गुल-ए-बदन हैं न , मत पुंछ
दिल लगी है। इसी में इस कदर हाय🙈 चाहु गर किसी और को देखु ,, होता नहीं🤣🤣

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28 JUL 2020 AT 15:18

बा खुदा! बड़ी नासाज तबियत हैं उसकी
चैन-ओ-सुकून-ओ-सांस-ओ-सबर कैसे लुं😢।।
आलम-ए-हालत पाबंदीसो से घेरे रखा है मुझे
मेरे मौला! तू बता,, उसकी ख़बर कैसे लुं😢।।

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26 JUL 2020 AT 5:09

परहेज ना करना,, पास आना,,
जब कभी तुम्हें पास बुलाएंगे।।

तुम्हारी चांद सी मुजस्सिमा में,,
गर्दन तले कजाली टीका हम लगाएंगे।।

रफ्तार-ए-धड़कन बेशक तेज होंगी ,,
होंगी मुस्कान दोनों के होठों पर!!

बाद-ए-टिका!बड़ी मोहब्बत से,,
फिर हम दोनों एक दूजे को सीने से लगाएंगे।।

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21 JUL 2020 AT 19:52

बेहतर होता! जो अगर मैं तेरी बातों में ना आता
तो तुझे अपना हमसाया बनाया होता।

धन , दौलत और शोहरत से ना सही
मोहब्बत से भरा! एक आशियाना सजाया होता।

यूँ इजाजत भी ना होती अश्को को,, भिंगोये पलकें तेरी
गुस्ताखी जो गर होती! तुझे सीने से अपने लगाया होता।

बेशुमार होती मुहब्बत दरमियां अपने,, होते झगड़े भी
मनाने से जो गर ना मानती! अपने आगोश मे सुलाया होता।

ऊफ! जोश-ए-उल्फत में दिल्लगी को आशिक़ समझ बैठा
गर आशिकी होती,, महबूब! इतना ना मुझे रुलाया होता।

क्या रह गयी मोहब्बत में कमी अपनी,, गैर थे क्या जनेजां
राहत-ए-फुर्कत कुछ तो होता! अपना अशिक जो कहकर बुलाया होता।

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14 JUL 2020 AT 15:47

वहीं नूर,, वहीं अदा,, वहीं रुह
हु-ब-हु चाहिए मुझको

जाना न जाने क्यों तेरे बाद भी
तू ही चाहिए मुझको

न जाने क्यो इस तरह की फरमाइश
कर बैठा है,, ये गुस्ताख दिल

चाहिए और बड़ी शिद्दत से चाहिए
वो,, जो मेरी न हो सकी

मगर कमबख्त ये गुस्ताख दिल को ये ही नहीं पता
कि आखिर क्यो,, वो ही चाहिए मुझको।।।।

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