Akshita Sharmaa   (the_realist)
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Joined 3 May 2018


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29 NOV 2021 AT 2:23

उन सब में से, एक वो कुछ ज़्यादा ही ख़ास लगती है
शायद असल में नहीं है उतनी, जितनी मुझे वो पास लगती है।
चुप करा के बिठाऊं जितनी बार इस दिल को...
उतनी बार इस दिल से उसकी सहमति की आस उगलती है।।

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29 NOV 2021 AT 1:54

मेरा लिहाज़ नहीं करते मेरे शब्द अब..
अब निशब्द नहीं रहते अपशब्द के बदले।

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29 OCT 2021 AT 0:23

I realised that a lot of people in the world are lonely. So next time when you feel you are one of them, just remember that you are accompanied by all that loneliness shared by all those lonely people in the world. And then you are not lonely, suddenly no one is lonely.

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5 AUG 2021 AT 3:01

इंसान से वफ़ादारी में..
कश्ती भी क्या करती,
दरिया का डर या दरिया की दोस्ती रखती?

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5 JUL 2021 AT 16:18

I just did not accept love unless I was ready to love back.
And I am the bad person here?

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4 JUL 2021 AT 1:47

मोहब्बत के खातिर कितनों ने खुद को बर्बाद किया है,
मरने की चाहत में शायर बन के खुद ही को बदनाम किया है।

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3 JUN 2021 AT 17:17

कोई ज़ुल्म तो ज़ालिम के साथ भी हुआ होगा
वरना पैदाइशी दिल तो किसी का भी कठोर नहीं होता।

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28 MAY 2021 AT 18:40

चाहे कितना ही विशाल हो, आसमान रहता तो अकेला ही है। परिंदे भी बेचारे थक हार के रात को तो घर वापिस आयेंगे ही।

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11 MAY 2021 AT 3:42

अपनी शर्तों पर जीना, मनमर्ज़ी करना जैसे गुनाह है..
"लोग क्या कहेंगे?।" ये भी लोगों से ही सुना है।

लोग क्या कहेंगे?।
सवाल होता तो फिर भी ठीक था
पर इसे तो उन्होंने फुर्सत से वाक्य में बुना है।
"लोग क्या कहेंगे?।" ये भी लोगों से ही सुना है।

ये प्रश्न तो यकीनन ही बनता कभी
क्योंकि लोग हैं, सोचेंगे, और कुछ कहेंगे भी
पर इसे तो पहले ही विराम से विराम करके धुना है।
"लोग क्या कहेंगे?।" ये भी लोगों से ही सुना है।

बड़ी ही तबियत से इन तीन शब्दों को चुना है..
"लोग क्या कहेंगे?।" ये भी लोगों से ही सुना है।

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17 APR 2021 AT 21:39

वोह चांद की सूरज से तुलना करते हैं
ऊपर से सिर्फ सूरज की सराहना करते हैं

वोह सूरज की रौशनी को उजाला
और चांद को अंधेरे का हवाला कहते हैं

वोह करते नहीं सूरज के अहंकार से द्वेष
बस चांद को नाकाबिलियत का वेष कहते हैं

वोह समझते नहीं सूरज के मूंह मोड़ लेने पर
एक चांद साहब ही सूरज के उधार से उजाले करते हैं।।


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