Akshaya Doshi   (Akshaya)
29 Followers · 8 Following

Joined 11 April 2020


Joined 11 April 2020
4 JAN AT 15:32

सोचा इस साल कुछ अलग करते हैं
क्योंकि अब पहले जैसी बात नहीं हैं
नए साल का कोई संकल्प नहीं हैं
ना ही कुछ पाने का निश्चय बनाया हैं
बस खुद को समझने की ईच्छा हैं
खुद को बदलने का मन नहीं हैं
अब पहले जैसी बात नहीं हैं

-


1 DEC 2023 AT 18:21

इस साल का आखरी महिना आ गया।
कुछ अच्छे तो कुछ बुरे दिन दिखा गया।
ये महिना यादों का है, भावनाओं से भरे सैलाब का है।
एक ओर कुछ नये रिश्तों की शुरुआत,
तो दुसरी ओर कभी पुराने रिश्तों में शिकायत,
पर इन सब में नजर आ रही बस खुद पर हंसी आनेवाली हरकतें है।
कुछ ख्वाब पूरे हुए,
तो कुछ अधुरें रह गए,
साल का ये आखरी महिना उन सब लम्हों में बिताए हुए जज्बातों का कारवां है।

-


22 SEP 2023 AT 21:26

अब किनारा नहीं चाहिए
मन में उठे कई सवालों के उलझन से
अपनी सोच की गहराई को नपना अभी बाकी है।
और अब कोई सहारा भी नहीं चाहिए
डगमगाते कश्ती से कोशिशों की
नदीयाँ पार कर खुद को तराशना फिलहाल बाकी है।

-


12 SEP 2023 AT 16:22

कुछ खिड़कियां तुम्हारे राज़ में हमसफ़र बन जाती हैं।
जिनसे घंटों तक बाहर तकते रहना अच्छा लगता हैं।
शाम को कॉफ़ी का मग हाथ में लिए मौसम को महसूस करना हो,
या डुबती हुई संध्या का बेहद खूबसूरत नज़ारा देखना हो,
या फिर रात में खिड़की से चाँद को निहारते रहना हो।
पता नहीं क्यूँ,
पर ये खिड़कियां दिल को एक अजीब सा ही सही सुकून दिलाती हैं।
कभी अकेले में गाने सुनने का मन करे, या फ़िर
खुद से खुद की बातें करना हो, यूं कहुं तो खुद में ही जीना हो,
तो यही खिड़कियां तुम्हारी साथी बन जाती हैं।
ये कुछ खिड़कियां ज़िंदगी में ऐसी जगह बना लेती हैं
की बस पूछो ही मत...
जो ढूंढने से भी कहीं और नहीं मिलती,
ऐसी शांति बस उन खिड़कियों में ही मिलती हैं।

-


1 SEP 2023 AT 17:14

A reminder that change is beautiful, just like the color of autumn leaves.

-


24 JUL 2023 AT 11:46

कम से कम है तो सही
माना उसका थोड़ा गम है
आखें भी थोड़ीसी नम है
पर जज्बात जिंदा है तो सही
कम है तो क्या हुआ
कम से कम है तो सही

-


19 JUL 2023 AT 12:56

आज काही आठवणी जाग्या झाल्या, एका आठवणी सोबत दुसरी आणि दुसरी सोबत तिसरी, आठवणीची ही आगगाडी आनंदात मनात धावताना काही जखमा ताज्या झाल्या... मनात आलं की वेळ पाठीमागे घेऊन लागणारी ठेच रोखता आली असती तर.. पण या "तर" वर घडणाऱ्या गोष्टी कधी लांबत नाहीत आणि काळ कधी थांबत नाही...

-


18 JUL 2023 AT 21:23

जब मैंने लिखना सीखा था तब मैंने उसे मन हलका करने का बस एक जरिया समझा था। जज्बातों को शब्दों में बयान कर सुकून क्या होता हैं ये जाना था। अच्छा लिखा या बुरा इस बात से बेखबर खुद को खुश करने का नुस्खा सीखा था।

-


18 JUL 2023 AT 21:14

जो सब जानकर भी
अंजान बने।
जो सब समझकर भी
नासमझ दिखे।
जिसकी फटकार में भी
मासुमियत बरकरार रहे।

-


15 JAN 2023 AT 17:22

आयुष्याच्या पतंगाची दोरी नात्यांमध्ये बांधत
त्‍याला कधी ओढ तर कधी ढिल देत
येणाऱ्या प्रत्येक संकटांना एकत्र मागे सारत
आयुष्याचे नवनवीन रंग अनुभवत
आपल्या नात्यातला मायेचा गोडवा जपत
साजरी करू आज मकर संक्रांत

तिळगुळ घ्या आणि गोडगोड बोला

-


Fetching Akshaya Doshi Quotes