तू वहां इतनी दूर हैं और मैं यहां,
तुझ तक पहुंचना आसान नहीं,
पता हैं की तू सुनेगा नहीं,
पर तूझसे बातें करना,
अपनी हर एक बात तुझसे कहना,
यूं हीं तुझको निहारना,
बस तकते रहना अच्छा लगता हैं!
तू तो अधूरा होकर भी मुस्कुराता है,
अधूरेपन में भी हंसना सिखाता हैं,
तू जैसे जैसे अपना आकार बदलता हैं न,
हर रोज एक नई खूबसूरती के साथ निखरता हैं,
लोग कहते हैं की चांद में दाग हैं,
पर उस दाग के साथ भी तो,
तू अंधेरे में सभी को रौशन करता हैं,
सायद इसलिए तू दिल को और भाता हैं!
यही देख के तो मैंने तूझसे सीखा हैं ,
हर पल मुस्कुराना,
अपने अधूरेपन से भी प्यार करना,
खुद के कमी के साथ नही,
खुद की अच्छाई के साथ जीना,
हर दिन दिल में नई उम्मीद जगाना!
कभी करवाचौथ का चांद,
कभी ईद का चांद बनता हैं,
तो कभी हर आशिक़ तुझे,
अपनी कहानी में लाता हैं
लेकिन तू तो मेरे लिए,
मेरे हर सुख, दुःख, हसीं, खुशी,
सफलता, विफलता,
हर पल का साथी हैं!
पहले तो नहीं पता था,
इतना ख़ास रिश्ता तुझसे बन जाएगा,
की तूझे देखने के बाद हर रोज,
दिल इतना मुस्कुराएगा,
पता न क्यूं पर तूझे देख के,
तुझसे सारी बातें कह के,
एक अलग ही सुकून मिलता हैं,
अब हर रोज़ बस तेरे निकलने का इंतजार रहता!
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