Akanksha Singh   (Akshuu)
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Joined 4 October 2020


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14 NOV 2022 AT 23:00

बेखबर हूं, बेखबर ही रहने दो!

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3 FEB 2022 AT 19:14

विपरीत परिस्थिति का सामना करते करते,
हर रोज़ खुद से लड़ते लड़ते,
हम खुद के ही विपरीत होते जाते हैं.........

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27 JAN 2022 AT 14:03

तू वहां इतनी दूर हैं और मैं यहां,
तुझ तक पहुंचना आसान नहीं,
पता हैं की तू सुनेगा नहीं,
पर तूझसे बातें करना,
अपनी हर एक बात तुझसे कहना,
यूं हीं तुझको निहारना,
बस तकते रहना अच्छा लगता हैं!

तू तो अधूरा होकर भी मुस्कुराता है,
अधूरेपन में भी हंसना सिखाता हैं,
तू जैसे जैसे अपना आकार बदलता हैं न,
हर रोज एक नई खूबसूरती के साथ निखरता हैं,
लोग कहते हैं की चांद में दाग हैं,
पर उस दाग के साथ भी तो,
तू अंधेरे में सभी को रौशन करता हैं,
सायद इसलिए तू दिल को और भाता हैं!

यही देख के तो मैंने तूझसे सीखा हैं ,
हर पल मुस्कुराना,
अपने अधूरेपन से भी प्यार करना,
खुद के कमी के साथ नही,
खुद की अच्छाई के साथ जीना,
हर दिन दिल में नई उम्मीद जगाना!

कभी करवाचौथ का चांद,
कभी ईद का चांद बनता हैं,
तो कभी हर आशिक़ तुझे,
अपनी कहानी में लाता हैं
लेकिन तू तो मेरे लिए,
मेरे हर सुख, दुःख, हसीं, खुशी,
सफलता, विफलता,
हर पल का साथी हैं!

पहले तो नहीं पता था,
इतना ख़ास रिश्ता तुझसे बन जाएगा,
की तूझे देखने के बाद हर रोज,
दिल इतना मुस्कुराएगा,
पता न क्यूं पर तूझे देख के,
तुझसे सारी बातें कह के,
एक अलग ही सुकून मिलता हैं,
अब हर रोज़ बस तेरे निकलने का इंतजार रहता!

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1 JAN 2022 AT 17:43

टूटी हूं अभी संभलना बाकी हैं,
जिंदगी तुझे और करीब से देखना बाकी हैं!

खुद से इस क़दर जुदा हुई हूं की,
खुद के लिए खुद को तलाशना बाकी हैं!
जी रही थी यूं ही बस ख्वाब देखकर,
अभी तो जी भर के जीना बाक़ी हैं!
मैं इस भ्रम में थीं, की खुद से मिल रहीं हूं,
खुद को देखा तो, खुद को जानना ही बाकि हैं!

देखें हैं कुछ रंग जिन्दगी के मैंने भी,
अभी सतरंगी रंग देखना बाकी है!
सोच रहीं थी, अब क्या दिखाएगी तू ये जिन्दगी,
पर तुझसे तो अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है!

उड़ना हैं, पूरे जहां को देखना हैं,
पर अभी तो हवा को दोस्त बनाना बाकी हैं!
नदी की तरह अपने मंजिल की ओर निरंतर बढ़ना हैं,
लेकिन पानी की तरह पारदर्शी होना बाकी हैं!
अपनी कामयाबी से अपनी एक पहचान बनानी है,
उससे पहले सूरज की तरह तपना बाकी हैं!


टूटी हूं अभी संभलना बाकी हैं,
जिंदगी तुझे और करीब से देखना बाकी हैं!

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27 DEC 2021 AT 11:01

प्रेम
यानी समर्पण, त्याग, अटूट विश्वास!

प्रेम में,

इस तरह समर्पित होना, की खुद को पा लेना,
जो व्यर्थ हो, हर उस चीज़ का त्याग करना,
अपने प्रेम के लिए, प्रेम के प्रति ईमानदार होना,
कभी न टूटने वाला, अटूट विश्वास का होना!

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17 DEC 2021 AT 20:31

किस्मत.......
कभी कभी शायद किस्मत से ही,
हमे वो चीजे भी मिलती हैं,
जो हम कभी चाहते ही नहीं है,
और पता ही नही होता की,
इतनी सही होंगी हमारे लिए,
एक समय आते आते वो हमे इतनी प्रिय हो जाती है की,
छोड़ने का दिल ही नहीं करता हैं,
फिर उनसे लगाव और भी बढ़ने लगता हैं,
और साथ में खोने का डर भी!

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13 DEC 2021 AT 20:34

या तो गलती मेरी है,
या है ये किस्मत का खेल,
क्यूं नहीं बना पाई मैं भी,
किसी को इतना ख़ास!
की जब भी जरुरत हो मुझे,
वो रहे मेरे साथ,
पड़ेगी जरूरत किसी की मुझे भी,
कभी ऐसा हुआ ही नहीं महसूस,
आज न जाने क्यूं मन में,
यही सवाल है बस,
आख़िर क्यूं नहीं हैं, कोई मेरा मेरे पास,
सिर्फ मेरा ख़ास!




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25 NOV 2021 AT 23:26

क्या लिखूं मैं इन अदाओं पे,
तुम्हारी खुबसूरती तो खुद ही,
ये आँखें बयां कर रहीं हैं!

कितने गहरे राज़ छुपाए है तुमने,
की डूब जाऊं मैं इस गहराई में,
मुझसे ये तेरी आँखें कह रहीं हैं!

खूबसुरती इस कदर छाई हैं इन आँखों पे,
जी ही नहीं भर रहा देख लूं चाहे जितना भी,
लगता है धीरे धीरे ये मेरा दिल चुरा रहीं हैं!

थोड़ी सहमी सी हैं,
थोड़ी नम भी हैं,
जैसे नज़र का पहरा लगाने वाले को ढूंढ रहीं हैं!

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25 NOV 2021 AT 10:52

बस यहीं भरोसा खुद को दिलाना हैं!

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21 NOV 2021 AT 21:58

ऐसा हमसफ़र बन सकूं,
मैं उसके साथ रहूं, जब तक मेरी सांस रहे!
की दिल में उसकी एक तस्वीर बना लूं,
और वो मुझे अपनी धड़कन बना ले!

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