आज तक जो था साथ खड़ा,
हर परिस्थिति में आगे बढ़ा,
आज हुआ है सबसे जुदा,
और कोई एकता के लिए आगे न बढ़ा,
अपनी ज़िद मनवाने के लिए,
आज हर इंसान ह सड़क पर खड़ा,
कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम कह रहा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
स्वतन्त्र होने के बाद भी,
आज फिर गुलाम बने है सभी,
कोई गुस्सा का, कोई ज़िद का,
कोई अफवाओं का, कोई खुद का,
इन सब लड़ाई झगड़ो से,
मुझे बताओ क्या हो रहा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
भारतीय न कह कर,
आज भारत का हर नागरिक,
स्वयं को हिन्दू या मुस्लिम कह रहा है,
कॉलेजों में प्रदर्शन कर के आज हर छात्र,
खुद को बुद्धिमान कह रहा है,
और उन सबकी बुद्धिमता का प्रदर्शन,
सड़कों पर लगा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
आज भारत माँ का हृदय यह सब देख के पसीजा है,
उनने अपने बच्चो को ऐसे लड़ते हुए पहली बार देखा है,
उसका हर एक बच्चा उससे दूर हो कर खड़ा है,
और अपनी माँ को हर इंसान बाटने पर तुला है,
यह देश जिसकी एकता की मिसाल देती थी दुनिया,
आज उसको ही नज़र लग गयी है,
आज यहाँ कोई भारतीय बन के नही खड़ा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
आज तक जो था साथ खड़ा,
हर परिस्थिति में आगे बढ़ा,
आज हुआ है सबसे जुदा,
और कोई एकता के लिए आगे न बढ़ा,
अपनी ज़िद मनवाने के लिए,
आज हर इंसान ह सड़क पर खड़ा,
कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम कह रहा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
© अजिता पांडे
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