Ajita Pandey   (Ajita_Pandey)
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Joined 10 November 2017


Joined 10 November 2017
10 MAY 2020 AT 18:07


माँ ने ही तो यह जीवन मुझे जीना सिखाया है,
भाभी ने भी आ कर मुझको माँ अहसास दिलाया है,
मेरी भावनाओं का बिना बोले उनने भी पता लगाया है।
माँ की जगह जगत में कोई कभी नही ले सकता है,
पर भाभी भी तो माँ ही है, यह मैंने अब जाना है,
बात करे अगर अब बहन की,
तो उसको क्या बताना है, वो ही है जिसने अपने बचपन मेरे साथ बाटा है।
माँ का तो कोई तोड़ नही है,
माँ ने मुझको बनाया है,
पर माँ जैसे ही बाकी सबने मेरे जीवन मे,
कोई न कोई पात्र निभाया है।
माँ ने ही तो इन रिश्तों का महत्व मुझे बताया है,
मामा के घर से चाचा के घर तक का रास्ता दिखाया है,
माँ ही है वो जिसने नौ महीने मुझे अपने अंदर पाला है।

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5 APR 2020 AT 2:40

न हो कर भी मेरे साथ तू हमेशा रहा है,
मेरी हर मुश्किल का हल तुझमें छुपा है,
आस पास नहीं है तू मेरे,
तू खुद ही दूर जा कर कहीं छुपा है,
पर तू यह याद रखना, मुझमें अभी भी तू ज़िंदा बचा है।

मेरा हर इशारा तूने बिना बोले समझा है,
मेरे हर एक आँसू को तूने मुझसे पहले देखा है,
गहराई से हर एक बात को तूने मेरी सुना है,
और आज तू खुद ही मुझसे दूर चला गया है,
पर तू यह याद रखना, मुझमें अभी भी तू ज़िंदा बचा है।

श्वेत रंग की चादर ओढ़े आज तू सबके सामने आया है,
सबने अपने आँसू बहाकर तुझे एक अच्छा इंसान बताया है,
पर न जाने क्यों, मेरा मन अभी भी ज़िद पे अड़ा है,
कि तू कहीं न कहीं से अभी भी यह सब देख रहा है,
मज़ाक कर रहा है तू सबसे इसलिए छुप कर कहीं खड़ा है,
पर तू यह याद रखना, मुझमें अभी भी तू ज़िंदा बचा है।

न हो कर भी मेरे साथ तू हमेशा रहा है,
मेरी हर मुश्किल का हल तुझमें छुपा है,
आस पास नहीं है तू मेरे,
तू खुद ही दूर जा कर कहीं छुपा है,
पर तू यह याद रखना, मुझमें अभी भी तू ज़िंदा बचा है।

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19 DEC 2019 AT 19:37

आज तक जो था साथ खड़ा,
हर परिस्थिति में आगे बढ़ा,
आज हुआ है सबसे जुदा,
और कोई एकता के लिए आगे न बढ़ा,
अपनी ज़िद मनवाने के लिए,
आज हर इंसान ह सड़क पर खड़ा,
कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम कह रहा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
स्वतन्त्र होने के बाद भी,
आज फिर गुलाम बने है सभी,
कोई गुस्सा का, कोई ज़िद का,
कोई अफवाओं का, कोई खुद का,
इन सब लड़ाई झगड़ो से,
मुझे बताओ क्या हो रहा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
भारतीय न कह कर,
आज भारत का हर नागरिक,
स्वयं को हिन्दू या मुस्लिम कह रहा है,
कॉलेजों में प्रदर्शन कर के आज हर छात्र,
खुद को बुद्धिमान कह रहा है,
और उन सबकी बुद्धिमता का प्रदर्शन,
सड़कों पर लगा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
आज भारत माँ का हृदय यह सब देख के पसीजा है,
उनने अपने बच्चो को ऐसे लड़ते हुए पहली बार देखा है,
उसका हर एक बच्चा उससे दूर हो कर खड़ा है,
और अपनी माँ को हर इंसान बाटने पर तुला है,
यह देश जिसकी एकता की मिसाल देती थी दुनिया,
आज उसको ही नज़र लग गयी है,
आज यहाँ कोई भारतीय बन के नही खड़ा है,
मेरा देश बिखर रहा है।
आज तक जो था साथ खड़ा,
हर परिस्थिति में आगे बढ़ा,
आज हुआ है सबसे जुदा,
और कोई एकता के लिए आगे न बढ़ा,
अपनी ज़िद मनवाने के लिए,
आज हर इंसान ह सड़क पर खड़ा,
कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम कह रहा है,
मेरा देश बिखर रहा है।

© अजिता पांडे

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9 DEC 2019 AT 1:05

अपना मान तुम्हे बचाना है,
कुछ दरिंदो को सबक सिखाना है,
माँ दुर्गा बनो या माँ काली,
अब इस समर में तुम्हे ही जीत के आने है।
युद्ध करो तुम उस सबसे जो तुम्हे कमज़ोर है समझते,
अपनी शक्ति से परिचय उन सबको करना है,
अपने हाथों में तुम्हें तलवार और धनुष उठाना है,
अब इस समर में तुम्हे ही जीत के आना है।
अकेली अगर हो तुम आज,
तब भी तुमको हार नही मानना है,
अकेले ही अपने लिए तुम्हें शस्त्र उठाना है,
अब इस बार समर में तुम्हे ही जीत के आना है।

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7 DEC 2019 AT 8:27

उंगली पकड़ कर चलती थी जो,
आज हो आयी है बड़ी,
मुझसे अपना हाथ छुड़ा कर,
देखो जा रही है मेरी परी।
दिन भर, मम्मी पापा बोलने वाली,
भाई-बहनों के साथ खेलने वाली,
सबको एक साथ रखने वाली,
देखो जा रही है मेरी परी।
जब भी उसको चोट लगती थी,
मम्मी से डर कर कहती थी,
पापा की लाडली है जो,
देखो जा रही है मेरी परी।
बचपन में जब घर छुट्टियों में आती थी,
चाचू के साथ वो स्कूटर पर घूमने जाती थी, चाची के हाथ के छोले पूड़ी खाती थी,
देखो जा रही है वही परी।
बुआ को अपनी दोस्त मान कर सारी बातें कहने वाली,
अपने छोटे भाई-बहनों को असीम प्रेम करने वाली,
दोस्तों के साथ मस्ती करने वाली,
देखो जा रही है मेरी परी।
खड़ी है हाथों में मेहेंदी लगाएं,
लाल चुनरिया सर पर सजाएं,
मामा-मामी की लाड़ो,
देखो जा रही है मेरी परी।
हाथ सजन का थाम कर,
अपनी नई जिंदगी बसाये,
और उसमें तू सारी खुशियाँ पाए,
मौसी की दुआएं साथ ले कर,
जा रही है मेरी परी।
उंगली पकड़ कर चलती थी जो,
आज हो आयी है बड़ी,
मुझसे अपना हाथ छुड़ा कर,
देखो जा रही है मेरी परी।

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27 OCT 2019 AT 9:42

ओट बन जाओ दिये की,
देखना की वो शांत न हो,
जले दिया हर एक घर में,
रोशनी जिसकी कभी कम न हो।
ओट बन जाओ दिये की,
ताकि स्वयं के अंधकार को तुम दूर कर सको,
अपनी अंदर की बुराई जल कर,
दिये जैसे रोशन होते रहो।
दीपोत्सव के दिन,
दुसरो को खुशियां तुम बाटते चलो,
बने रहना ओट एक दिये की,
ताकि वो कभी शांत न हो।
ओट बन जाओ दिये की,
देखना की वो शांत न हो,
जले दिया हर एक घर में,
रोशनी जिसकी कभी कम न हो।

© अजिता पांडे

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18 AUG 2019 AT 22:53

किससे शिकवा करे,
जब ज़िन्दगी ही बेवफ़ा हो जाए,
जब नींदे अपने साथ पुरानी यादें ले आये,
जब रोशनी में भी अंधकार छा जाए।

किससे शिकवा करे,
जब अपनी परछाई ही खुद से रूठ जाए,
जब सबको खुशी बाटते बाटते खुद अपनी खुशी कहीं खो जाए,
जब अंधेरे और उजाले में कोई फर्क न रह जाए,
जब पुरानी बातें याद होने के बाद भी हम उसी गलती को दोबारा दुहरायें।

किससे शिकवा करे,
जब हमारी ही रूह खुद से कापे,
जब अपने लोग ही हमारा हाथ छोड़ जाए,
जब अकेले बैठने पर भी खुद से न मिल पाए,
जब कोई दिल में उतर कर भी तुमसे दूर हो जाए।

© अजिता पांडे

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10 JUL 2019 AT 9:08

दूर खड़ी मैं तेरे द्वार,
तूझको आवाज़े देती हूँ,
तेरी दर्शन पाने के लिए,
मैं सारी कोशिशें कर लेती हूँ।
हाथ जोड़ कर, माँ अम्बे
मैं तेरा ध्यान धर लेती हूँ।
नवरात्रि के दिन हो,
या हो सावन के सोमवार,
मेरे लिए तो तू ही है जग की पालनहार।
तू ही तो है शिव की शक्ति,
तू ही है ब्रामणी भी,
तू ही तो है नारायण की लक्ष्मी,
तू ही आदी भवानी भी।
दया करो माँ जगतजननी,
आई मैं तेरे धाम,
संकट मेरे सारे दूर कर के,
बना दो बिगड़े काम।
तू माँ बन कर शक्ति देती,
तू ही बनती सारे बिगड़े काम,
तेरी ही दया से माता,
आज खड़ी हूँ मैं तेरे धाम।
ममता से भरी माँ है तू,
गलतियों को माफ कर,
नया रास्ता दिखाने वाली कल्याणी है तू,
पापियों का नाश करने वाली चामुण्डा है तू,
भक्तो की रक्षा करने वाली महामाया है तू।
मुझे लिखना सिखाने वाली माँ सरस्वती है तू,
मेरे अंदर विश्वास जगाने वाली माँ काली है तू,
मेरे संकट दूर करने वाली माँ कात्यायनी है तू,
मेरी लाज बचाने वाली माँ मनसा है तू।
दूर खड़ी मैं तेरे द्वार,
तूझको आवाज़े देती हूँ,
तेरी दर्शन पाने के लिए,
मैं सारी कोशिशें कर लेती हूँ।

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15 JUN 2019 AT 23:59

चौसर की फिर बाज़ी लगेगी,
तुम्हे फिर से दरबार में आना होगा,
फिर से खुद सब हार कर,
धर्मराज को तुम्हे लज्जित करवाना होगा।

द्रोपदी तुम शास्त्र उठा लो,
तुमको खुद ही अपना सम्मान बचना पड़ेगा।।



(पूरी कविता अनुशीर्षक में)

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11 JUN 2019 AT 21:46

इस धरती पर कलयुग आया,
तेरा सम्मान यहाँ अब नहीं होगा,
तू पैदा होगी तब डर सबको रहेगा,
तेरे आते ही तू शिकार बन जाएगी दरिंदो की,
इसलिए तेरा आना यहाँ मुनासिफ नहीं होगा।
जाओ लाडो अब इस धरती पर वापस मत आना।।


(पूरी कविता अनुशीर्षक में)

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