Âjäy Mörï   (..अजेय)
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😉
Joined 2 January 2018


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25 FEB 2021 AT 21:49

ज़हर , ज़ेहन का ज़ेहन में ही रहने दो -2

तुम गले लग जाओ चाहे , मगर महोब्बत रहने दो ।

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6 FEB 2021 AT 17:22

दिल की बात को सुनो,

यूँ ज़ुबाँ को तकलीफ क्यों देते हो।-2
ज़हर इश्क़ का है मुझमे,

तुम शराब को गाली क्यों देते हो ।।

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25 JAN 2021 AT 21:47

बाज़ुओं की कसरत कुछ और बात है,-2

अगर आंसू एक भी टपक गया आँख से ,

तो मैं जंग हार जाऊंगा||

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29 FEB 2020 AT 19:38

वो शाजिश कर रहा था ,
हमे मुस्कुरा कर मार देने की।-2

हम भी शातिर थे ,
हमने इश्क़ किया ही नही ।।

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22 JAN 2020 AT 19:54

मुस्कुराती सूरतो पर , महफ़िल में,

ये कैसा सन्नाटा छाया है।

लगता है अनजाने में शायर ने ,

कोई महँगा सच कह सुनाया है।।

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6 NOV 2019 AT 21:45

कसूर मौसम का नही,

ये काम हवाओं का है। -2

मेरे घावों पर असर तुम्हारी ही हँसी का है,

बस नाम दवाओं का है।।

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1 NOV 2019 AT 21:02

अर्ज़ किया है -

कि अब वो मुस्कुराने बहुत लगी है। -2

वजह नीम की डाली नही..साहब !!

उम्र की डाली लगती है ।।

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28 OCT 2019 AT 11:30

वो सच्चाई ,रोशनी

और वो उमंगे कहाँ,-3

दिवाली तो वही है ...जनाब।।

पर अब वो ..बचपन कहाँ?!!

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20 OCT 2019 AT 16:07

बस नम ही थी वो आंख,

अब बरसने लगी है।-2

बरसात गयी ही नही ।

और धरती तरसने लगी है।।

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4 JUN 2019 AT 23:16

सुनी रातें और बड़े लंबे दिन तड़पता है,
ऐसे ही कोई कमाल नही हो जाता है।-2
बड़ा जलता है तीखी धूप में,
यूँही गुलमोहर लाल नही हो जाता है ।।

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