Ahmad Sheeraz  
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Joined 14 December 2018


Joined 14 December 2018
11 JAN 2021 AT 16:17

ختم جب بزم ہوتی ہے اکیلے رہ جاتے ہیں
چراغوں کے اجالوں میں اندھیرے رہ جاتے ہیں

محبت کے کناروں پر چلا ہوں میں بس لیکن
لہریں کھینچ لیتی ہیں مد ہوش رہ جاتے ہیں

وحشت کے ساغر میں ڈوبا ہوں تب سمجھا
سویرے چھوڑ جاتے ہے اندھیرے رہ جاتے ہیں

اکیلا تو یہ اک تنکا، کہاں تک یہ تیرے گا
پتہ تو ہے مسافت کا، مسافر رہ جاتے ہیں

کہوں گا میں اک افسانہ،لگے گا جو نہ بیگانہ
پتنگے کٹ جاتی ہے، بس مانجھے رہ جاتے ہیں

شاعر تو یہ کہتا ہے محبت سچ میں ہوتی ہے
قلم بھی بک جاتے ہیں، لفافے رہ جاتے ہیں

" احمد شیراز"

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20 JAN 2020 AT 7:58

ये जो उसकी हवाओं पर इस तरह परवाज़ है !

बुझने से पहले फड़फड़ाते हैं चिराग अक्सर !!

अहमद शीराज़

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8 NOV 2019 AT 7:52

अब मुझे किसी की तलाश नहीं!
खुद को तुम मे खो चुका हू में!!

मनो मन मिट्टी के नीचे मे हू दफ्न!
चेन की नींद अब सो चुका हूं में!!


अहमद शी राज़

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5 NOV 2019 AT 20:54

सभी को छोड दिया मेने। बस कुछ दोस्त बाकी़ है।।
मुहब्बत छोड दी मेने।वफाए अब भी बाकी है।।

खामोशी छाई रहती है।।गूंज फिर भी बाकी है।।
हो गया है। "तरक-ऎ-जाम"। नशा अब भी बाकी है।।

नही मुनकिर वफाओ का।इक़रार अब भी बाकी है।।
जुदा मुझ से नही लेकिन। ख़ला फिर भी बाकी है।।

ना सही 'नज़र-ऎ-करम' । 'नज़र-ऎ-इनायत'बाकी है।।
जिगर ज़ख्मी हे लेकिन। जि़कर् में नाम बाकी है।।

नही का़यल बगावत का। इन्क़लाब फिर भी बाकी है।।
ना आएगा कोई झोंका।।अभी तूफान बाकी है।।

अधूरा हे यह अफसाना।। अभी कई "राज़" बाकी है।।
अभी दिलदार बाकी है।अभी हमराज़ बाकी है।।

                                                अहमद शी-"राज़"

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11 APR 2019 AT 8:08

याद तो उसको आती होगी!!

कभी तो मेरा नाम लेता होगा!!

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27 MAR 2019 AT 10:03

सितारों से तेरी तस्वीर बना कर!


ऐसे भी बहलाता हूं दिल को अक्सर!!

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9 MAR 2019 AT 18:56

मेरे कमरे मे होता हे ग़मों का बसेरा!


मेरे दर पे खुशीयों का आना मना हे!!

अहमद शी-राज़

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24 JAN 2019 AT 5:43

मे ये केसे केह दु कुछ हुआ ही नहीं!

क्या आइने से कोई बात छुपाई गई हे!!

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22 JAN 2019 AT 0:57

तुम कह दो कि तुम हमारे!!

________हाए'हाए'हाए!!

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22 JAN 2019 AT 0:35

आप की, बातें, यादें, मुलाका़ते!

अलविदा, अलविदा, अलविदा!!

अहमद शी-राज़

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