Adv Abhishek Pandey   ("अभि")
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Joined 4 August 2017


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5 DEC 2023 AT 2:40

सुनो....
चलो माना कि हम बुरे हैं
मगर तुम्हें कुछ तो अच्छाई दिखी होगी ना..
मुझे सब बुरा कहते हैं
हां मुझे भी पता है..
लेकिन क्या तुमने ये सोचा कि हम क्यूं बुरे हैं?
हम बुरे हो सकते हैं किसी कारण से या शौक से या फिर मजबूरी से..
तुमने ये सोचना मुनासिब नहीं समझा
हां समझा तो बस ये कि हम बुरे हैं
हम बुरे हैं फिर भी तुम चाहते हो जुड़ना हमसे
हमें कैसे पता चला..
हां ये सवाल अच्छा है लेकिन जवाब तुम्हें भी पता है.
लेकिन फिर भी मुझसे तुम पूछोगे
लेकिन जवाब तो वही रहेगा कि तुम्हारी आंखों की उन हरकतों से मुझे देखने के लहजे से पता चला..
हां जवाब मेरा विश्वास करने वाला नहीं हैं लेकिन जवाब एकमात्र यहीं हैं..
इक जवाब पर टिके रहना सही है या उठ रही जिज्ञासा को शांत करना
शायद तुम्हारे लिए जिज्ञासा को शांत करना..
किन्तु जिज्ञासा शांत करने के लिए हमसे जुड़ना होगा..
लेकिन हम तो बहुत बुरे हैं..
क्या बिना हमसे जुड़ें जानना सम्भव नहीं..
बिल्कुल सम्भव है हम बिना जुड़े बातो को जान लेगे..
लेकिन बिना जुड़े हुए जानी गई बातें क्या हम सच ही बोलेंगे..
उसके लिए एक हद तक जुड़कर बातों को जानना होगा..
लेकिन जुड़ना तो पड़ेगा...क्या जुड़ना सही होगा??

आगे फिर कभी

To Be Continued.....

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5 DEC 2023 AT 2:11

अकेले पड़ जाओगे जमाने में
थामने को एक भी हाथ नहीं होंगे..!
कद्र मेरी तब समझोगे
जब हम तुम्हारे साथ नहीं होंगे..!!

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18 FEB 2023 AT 1:41

वस्ल की खातिर हम मुंसिफ से मजलूम हो गये..
उन्हें तवज्जोह दी इस कदर कि वो मख़्दूम हो गये..
महज हाज़त नहीं हर सुकूं जन्नत उन्हीं से ही थी..
मगर हम उनके लिए मख़्सूस से मौसूम हो गये..

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17 NOV 2022 AT 22:21

यह ज़िन्दगी एक सफ़र है हम राह पर हैं चल रहे..
संघर्ष की इस आग में हम भी हैं थोड़ा जल रहे..
कुछ साथ हैं मेरे और कुछ लोग हमसे जल रहे..
कुछ खुश हैं मेरे प्रयास से कुछ लोग को हम खल रहे..
मुझे चाहतें मंजिल की हैं हम चल रहे बस चल रहे..

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17 APR 2022 AT 14:55

हर उलझन में सनम तुम सुकून सी हो..
सिर पर चढ़ जाय जो उस जुनून सी हो..
मेरी हर सांस और धड़क में समाई हो..
मैं दिल,तुम उसमें प्रवाहित खून सी हो..

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14 APR 2022 AT 1:05

~~चाहत~~

कहती थी गले लगाना पहली पसंद है तुम्हारी
आओ फिर एक बार गले लगाओ ना..

तुम कहती थी कि साथ निभाओगी मेरा
मेरी ताकत बन मेरा साथ निभाओ ना..

बातें करने का बड़ा शौक था न तुमको
आओ संग बैठकर मुझसे कुछ बतियाओ ना..

तुम कहती थी मुझसे, खुद को थोड़ा सुधार लो
मैं सुधर जाऊंगा फिर इक बार समझाओ ना..

वादा की थी तुम मेरे बाद कोई न होगा जिंदगी में
सुनो..अपना किया वो वादा तो निभाओ ना..

मैं ये जानता हूं तुम्हें अब साथ नहीं रहना मेरे
मैं फिर भी ये कहूंगा मेरे लिए ही सही रुक जाओ ना..

अच्छा..अगर जाना ही है तुम्हें मेरी जिंदगी से
तो जिंदगी से पहले मेरी यादों से भी जाओ ना..

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14 APR 2022 AT 0:15

हंसना अपनी आदत में शुमार कर चुका हूं..
दफ़न दिल में दर्द बेशुमार कर चुका हूं..
चाहा बहुत हंसना छोड़,शांत अब रहा करूं..
हो नहीं पाया कोशिश कई बार कर चुका हूं...

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13 JUL 2020 AT 19:48

वो अपनी बदतमीजी को महज बात समझ रहे थे
दोष उसका नहीं उसके संस्कारों का था.!
अथाह जल के साथ समंदर शांत,स्थिर था
शोर जो उठ रहा था छोटे-मोटे फव्वारों का था.!!

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8 MAY 2020 AT 21:01

बेवजह ही प्यार कर बैठे थे तुमसे
अब हमें ऐसा लगता है..!
तुम भी बताओ दूर होके मुझसे
अब तुम्हें कैसा लगता है..!!

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2 MAY 2020 AT 1:04

हमने सोचा है अब खुद ही सुधरने को..
किसीसे करके वादा अब न मुकरने को..
निगाहों से उतरकर है मैंने देख लिया..
अब सोचा है हर इक दिल में उतरने को..

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