न जाने कितनो को मार दिया और कितनो को मार रहा हूं, हर दिन मैं अपने आप से ही हार रहा हूं। शिकष्ट में मैं खुद में ही लर पड़ा हूं, की हर दफा मैं अपने में ही हार रहा हूं। पर कब तक??? कब तक ये हार नसीब रहेगी मुझको, कभी तो जीत पूरी तरह मेरे भी साथ होंगी।
Disappear for couple of years and you will find your identity erased or neglected from memories of people who happened to be so close. Harsh but true, you need to be useful around people to carry value.
Festival of colors, #Holi. Only one day in calender where you have an option, option to relive your childhood. With plenty of colors and happiness you have the urge to paint the whole world. Colors that don't see religion, caste, income or standards. All are same amd that's why holi is so vibrant and so joyfull.
कई खिलते हुए से है तो कई थोड़े दबे हुए, कई रंग है सफलता के और कई रंग ज़िन्दगी के हार से बुनती कहानियों के। पर कोई रंग ऐसा नहीं जो फीका लगे, क्यूंकि हर रंग है ख़ास ज़िन्दगी में।
कई अनजान शख्श है मेरे अंदर कोई नाराज़ है मुझसे तो कोई परेशान है, कई ऐसे है जो नादान है और न जाने कितने है जो हार गए है मुझसे। एक शख्श है जो जीतना चाहता है मुझसे, पर जीत पाया नहीं अब तक। और एक मैं हूं, जो लिखता हूं, कहता हूं और सुनाता हूं, हर शख्श के दिल और मन की बात। पर मेरा मन क्या चाहता है?
कोई मंज़र है वो उल्फत सा, दरिया सा कही गहरा है, कही ख़ामोशी में मुस्कुराता है, तो कही बस नदियों सा वो बहता है। कही ज़र्रा ज़र्रा में वो तरपता है, कही आग सा उबल वो खुद में ही जल जाता है। ये दिल ही है जो, मोहब्बत में इस कदर मारा मारा फिरता है।
कब सोचा होगा किसीने बचपन में, यूँ एक दिन होली भी बेकार सी लगने लगेगी। घर में बैठ बस अलग अलग पकवान में उलझ, युहीं शाम बीत जाएगी। बस इतनी सी ही तो होली है, और बाकि बस मैं, मेरी याद और सुकून।
यारों ये वक्र सज़ा है मेरा कि उस वक़्त मैंने दिल को क्यों न संभाला, ज़ब इश्क़ का खुमार उतरा था और ये दिल फिर किसी और के सालाहों पर धड़का था, कि फितरत में बेईमानी क्यों न थी और लोगों को मैंने क्यों अपना सा समझा था, कि हर बार क्यों मैंने खुद को इस हद तक गिराया था।
अब पूरा पूरा मुस्कुराने लगा हूँ मैं, हां थोड़े से बवाल बाकि है दिल में, पर पहले सा हसने लगा हूँ मैं। बहुत वक़्त लगा, हां खुद से बनने में, खोया भी बहुत कुछ इस मुकाम पर पहुंचने में, पर आज ज़ब बाहें फैला, मैंने हवा को महसूस कि, तो लगा कि खुद में कितना बदल गया हूँ मैं। हां अब पूरा सा मुस्कुराने लगा हूँ मैं।