मेरी सोच थोड़ा पुरानी है, मेरा चाल चलन थोड़ा खानदानी है, और लोग दीवानी कहते हैं मेरी मुस्कान देख कर मुझे, उन्हें कैसे बताऊं ये लड़की तो सिर्फ महादेव की दीवानी है।
एक किनारा पाकर बस वहीं ठहरना चाहती हूं, मैं इस ख़ामोशी से भी बहुत कुछ कहना चाहती हुं, और अगर डूबना चाहूं तो एक दरिया है आंसुओं का, पर मैं फिर भी खुशियों के सैलाबों में तैरना चाहती हूं।