रूठ जाऊंगी तो मनाओगे क्या ? गंदी हैं दुनिया की नजरें, उन नजरों से बचाओगे क्या ? इस हुस्न भरी दुनिया में सिर्फ मेरे बनकर रह पाओगे क्या ? छोड़कर आऊंगी घर अपना, अपने घर में वो इज्ज़त दे पाओगे क्या ? अभी तो खूबसूरत,जवान हूं, बुढ़ापे में भी साथ निभाओगे क्या ? बन जाऊंगी पार्वती जैसी, मेरे शिव बन पाओगे क्या.........?
इक अजीब सी आजमाईश में डाल दिया था उसने मुझको, न तो बातें करती थी न ही छोड़ रही थी, मैं मोहब्बत में बावला था वो मेरे सब्र का फायदा उठा रही थी, बेवजह गुस्सा दिखा रही थी मेरी नींद उड़ा रही थी अपनी ग़लती छिपा रही थी, आखिर ये झूठ फरेब का खेल खत्म हो गया, बेवफा का राज़ खुल गया, मेरा सब्र टूट गया साथ में रिश्ता भी टूट गया....💔🥹
मेरे घर का रास्ता उसके घर से होकर जाता था, आते जाते रास्ते में वो शख्स नज़र आ जाता था, उसके रहने से वो गली बाग़ान सी लगती थी, उसके जाने से अब गली वीरान सी लगती है....