इस युग का हर प्राणी ज्ञानी बनता है ,
पर ना जाने अपनी बारी आने पर क्यों अज्ञानी बनता है।
अक्सर किसी अपने या दूसरे से समझौते की बातें करता है ,
पर ना जाने अपनी बारी आने पर जान से मारने तक की बातें भी करता है।
इस युग का हर प्राणी ज्ञानी बनता है ,
पर ना जाने अपनी बारी आने पर क्यों अज्ञानी बनता है।
वो दूसरों को बताएगा कि सब मोह माया है ज़िंदगी का मज़ा तो अकेले में बिताना है ,
पर ना जाने अपनी बारी आने पर अकेले में खिन्नता और निराशों की मार खाता है ।
इस युग का हर प्राणी ज्ञानी बनता है ,
पर ना जाने अपनी बारी आने पर क्यों अज्ञानी बनता है।
अक्सर चल रही बातों में प्राचीन समय की बातों का उदाहरण देता है ,
पर ना जाने क्यों अपनी बारी आने पर उन्ही प्राचीन बातों को नये ज़मानें की बातों में तब्दील कर देता है।
इस युग का हर प्राणी ज्ञानी बनता है ,
पर ना जाने अपनी बारी आने पर क्यों अज्ञानी बनता है।
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