"क्या दोष था मेरा जो तोड़ दिया मुझको,कल तक तो हम उसी पत्थर के हिस्से थेजिसको आज तुम पूजते हो।" -
"क्या दोष था मेरा जो तोड़ दिया मुझको,कल तक तो हम उसी पत्थर के हिस्से थेजिसको आज तुम पूजते हो।"
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"वसीहत ज़मीन की कर सकते हो जीवन की नहीं।" -
"वसीहत ज़मीन की कर सकते हो जीवन की नहीं।"
"झुक नहीं सकता है युवा सत्ता के अभिमान में,हटा है पीछे युवा सिर्फ़ सेना के सम्मान में।" #agnipath -
"झुक नहीं सकता है युवा सत्ता के अभिमान में,हटा है पीछे युवा सिर्फ़ सेना के सम्मान में।" #agnipath
"आज कल के रिश्ते bluetooth जैसे हो गए,पास रहो तो connected और थोड़ा दूर जाओ तो searching for new devices बताते हैं।" -
"आज कल के रिश्ते bluetooth जैसे हो गए,पास रहो तो connected और थोड़ा दूर जाओ तो searching for new devices बताते हैं।"
"दाग शीशे पे था, हम चेहरा धुलते रह गए।" -
"दाग शीशे पे था, हम चेहरा धुलते रह गए।"
"वतन से धूल का एक कण भी हम बाहर न जाने देंगे, भले ही खून से ही क्यू ना सिचना पड़े ये धारती।" -
"वतन से धूल का एक कण भी हम बाहर न जाने देंगे, भले ही खून से ही क्यू ना सिचना पड़े ये धारती।"
भय से भयंकर भौकाल है जिनका,मित्र से बढ़कर व्यवहार है जिसका!ज्ञान से बढ़कर वैराग्य है जिसका,इसी से तो भोला है हर किसी का।"हर हर महादेव"— % & -
भय से भयंकर भौकाल है जिनका,मित्र से बढ़कर व्यवहार है जिसका!ज्ञान से बढ़कर वैराग्य है जिसका,इसी से तो भोला है हर किसी का।"हर हर महादेव"— % &
"जिसने वक्त पे साथ दिया उसको हम भी याद रखे हैं और,जो कर के वादे काटे हैं जरूरत पे कन्नी उनके लिऐ, हम भी मौके की तालाश रखे हैं।"— % & -
"जिसने वक्त पे साथ दिया उसको हम भी याद रखे हैं और,जो कर के वादे काटे हैं जरूरत पे कन्नी उनके लिऐ, हम भी मौके की तालाश रखे हैं।"— % &
"मुझे तरक्की अपनी नहीं अपनों की करनी।" -
"मुझे तरक्की अपनी नहीं अपनों की करनी।"
"अब तो दूरी भी दिसंबर की आखिरी रात की तरह जाता हूं ,जिसे न खोने का गम होता है न मिलने की चाह।" -
"अब तो दूरी भी दिसंबर की आखिरी रात की तरह जाता हूं ,जिसे न खोने का गम होता है न मिलने की चाह।"