कुछ ज़ोर हर पल इस दिमाग पे है,
हा ज़ुबान पे नही, वो हर बात पे है,
हा हस्ता रहता हु हर हार पे भी अपनी,
गुस्सा खुद पे नही, ये हालात पे है,
शायद रोता नही मै खुल कर कभी भी,
काबू खुद पे नही, जज़्बात पे है,
यहां हर पल दिल में एक जंग छिड़ी रहती है,
जीतना दुनिया से नही, अपने आप से है,
हा हर मंज़िल पाने का इरादा रखता हूं,
संग सबकी खुशी चाहता हूं मैं,
मतलब ऊंचा उठाने से नही,
अपनो के साथ से है,
हा.....
कुछ ज़ोर हर पल इस दिमाग पे है,
हा ज़ुबान पे नही, वो हर बात पे है।।
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