Abhishek Rai   (अभिषेक राय ✍️)
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Wake. Write. Sleep
Joined 16 March 2019


Wake. Write. Sleep
Joined 16 March 2019
17 DEC 2021 AT 16:19

हर्फ़ हर्फ़ जब से पढ़ा मैने तुझको,
मेरी कलम तेरे नाम की दीवानी हो गयी।

Harf harf jab se padha maine tujhko,
Meri kalam tere naam ki diwani ho gayi...

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6 APR 2020 AT 23:31

है अंत ही आरम्भ अगर, तो अंत से में क्यूँ डरूँ....
है पाप किसी के लिए पुण्य अगर, और पुण्य किसी के लिए पाप है,
तो इस पुण्य और पाप के बीच में, खुद में मैं क्यों लडूं...
सच और झूठ के इस जाल में, खुद में मैं क्यों जलूँ....
नियम बनाये समाज ने, बंधन में हैं हमें बांधते...
जिंदगी परोसते है हमें, कुछ शर्तों के मोल पर...
हैं ये जकड़े मुझे, मेरी आत्मा को कुरेदते,
मेरी आज़ादियों को छिनते, आवाज़ को मेरी कुचलते,
तो क्यों न आज मैं.... इन सारे चक्रव्यूहों को तोड़ दूं,
अपने अंदर के तपन से....बेमतलब के नियमों को तोड़ दूं,
अंदर बसे तूफान को.... क्यों न में आज छोड़ दूं....
है अंत ही आरम्भ अगर, तो अंत से में क्यों डरूँ...
है अंत ही आरम्भ अगर....

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27 JUN 2019 AT 10:49

अभी डूब रहा हूँ तुझमें मैं,
पूरा डूबना अभी बाकी है,
समझा है सिर्फ तेरी धड़कनों को,
आंखों को पढ़ना अभी बाकी है।

Abhi doob raha hoon tujhme main,
Pura doobna abhi baaki hai....
Samjhaa hai sirf teri dhadkano ko,
Aankhon ko paadhna av baaki hai....

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19 MAY 2019 AT 13:53

आज ठन्डक सी हुई महसूस इन आँखों को,
न जाने कितनी रातों को जलने के बाद......
अब आ गए हो तो आओ बैठो थोड़ी देर पास मेरे, मेरे क़ातिल
जाना हो तो चले जाना, इनमें वापस जान आने के बाद।

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14 MAY 2019 AT 19:59

की अब तो परछाई ने भी छोड़ दिया मेरा साथ,
कैसे कहूँ कितना तन्हा हूँ तुम्हारे जाने के बाद.....
ना गुजरते हैं ये दिन ना कटती है ये रात,
हर पल आती है बस तुम्हारी ही याद,
कैसे कहूँ कितना तन्हा हूँ तुम्हारे जाने के बाद.......
तुम्हारा वो मुस्कुराता चेहरा, वो खूबसूरत आँख,
भुलाए नहीं भूलते ज़ुल्फों के साये में बिताए वो शाम,
कैसे कहूँ कितना तन्हा हूँ तुम्हारे जाने के बाद......
तुम्हारा कभी मासूम हो जाना तो कभी बन जाना शैतान,
उंगलियों को पकड़ बाजारों में घूमना,
चाट के लिए झगड़ना, चॉकलेट के लिए लालची हो जाना,
कभी मेरे बालों को नोचना, मेरा तुम्हारी गालों को मसलना
सुबह सुबह तुम्हारी वो मीठी सी आवाज़ से मुझे उठाना,
तुम्हारा रूठना मेरा मनाना,
हर पल आती है मुझे तुम्हारी याद,
कैसे कहूँ कितना तन्हा हूँ तुम्हारे जाने के बाद.....
कैसे कहूँ.........................

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9 MAY 2019 AT 23:40

ज़िन्दगी के कुछ फैसले अब आसान हो गए,
जितने भी झूठे चेहरे थे, आज सब के सब बेनक़ाब हो गए,
शिक़वा नहीं है किसी से, न ही शिकायत कोई,
शुक्र है उनका, आज हम खुद के इतने खास हो गए।

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1 MAY 2019 AT 16:52

पूरे दिन काम कर थकान से चूर
पूरा शरीर मानो टूटने को था अब उसका..
हल्की बुखार की गिरफ्त में, बिस्तर पर पड़ी,
नींद की बाहों में अभी सिमटी ही थी वो..
तभी दरवाजे से तलमलाते, हाथ में एक ज़ाम पकड़े
कुछ बुदबुदाते उसके स्वामी,कमरे में दाखिल होते हुए
बिस्तर पर पड़े उसकी ओर देखा...और
टूट पड़े उसपर,मानो जैसे एक भूखा शेर हिरण के शिकार पर..
वो उससे बार बार छूटने की कोशिशे करती,मिन्नतें करती
कभी समझाने की नाकाम कोशिशें करती,
तमाम नाकाम कोशिशों के बाद हार चुकी थी वो
बिस्तर पर अब निढाल हो चुकी थी वो,
वो अपनी दरिंदगी में मश्गूल...नोचने में जूट गया था अब उसे..
कभी उसके जुल्फों को जो उंगलियां छेड़ा करती थी
आज मुट्ठी बन बालों को नोचने लगी थी उसके..
कभी जो प्यार से चूमता था उसे...आज काटने लगा था वो उसे..
अब बेजान सी पड़ी अपने शरीर को लुटने दे रही थी वो, अपनी आत्मा को मरते हुए देख रही थी वो..
कुछ समय बाद जब वो निढाल होकर शांत पड़ गया बिस्तर पर,
उसकी हैवानियत की सोच,आंसुओ के सैलाब में डूबने लगी थी वो...
सुबह हुई...रात की हैवानियत की सोच मे डुबी हुई थी तभी..एक सवाल गुजरा उसके कानों से
"तुम ठीक तो हो"...ये सवाल खंजर सा लगा उसके सीने पर,
उसके सूखे आंसूओं को वो पढ़ न सका,
वो बिस्तर से उठा और कमरे से निकल गया..
वो बैठी रही उस कमरे में अकेले,शून्य भाव के साथ
पथरीली हो चुकी आँखों के साथ।

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30 APR 2019 AT 11:39

निगाहें क़ातिल हैं आपकी....
इल्जाम मेरे क़त्ल का है उनपर....

Nigaahein kaatil hain aapki..
ILjaam mere katl ka hai unpar..

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27 APR 2019 AT 14:57

अब वो हमें बहुत तड़पाने लगे हैं..
तो क्या अब वो हमें अपनाने लगे हैं...

Ab wo hamein bahoot Tadpane lage hain..
To kya Ab wo hamein Apnaane lage hain...

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24 APR 2019 AT 14:20

ये आईने कुछ खास पसंद नही मुझे,
कोई अब्तर नज़र आता है मुझे उसमें।

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