Abhishek Latta   (Abhishek)
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Joined 21 June 2020


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Joined 21 June 2020
YESTERDAY AT 22:00

"मिश्रांगी" है मेरा इश्क इसे उलझा ही रहने दो,सुना है "ख़ालिस" की कोटी को नज़र बहुत लगती है...

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30 APR AT 20:28

जुगनू हूँ,ढूढ़ती हो ना तुम!
तारीफ़ हूँ,माँगती हो ना तुम!
लाइलाज़ हूँ,संभालती हो ना तुम!
बेचैनी हूँ,थामती हो ना तुम!
नूर हूँ, निहारती हो ना तुम!
अर्थ हूँ, समझती हो ना तुम!
शैली हूँ, परखती हो ना तुम!
कल हूँ, आज बूझती हो ना तुम!
मैं हूँ, जानती हो ना तुम...

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29 APR AT 20:22

तुम आदत बन गई हो मेरी ये सब जानते हैं,जिस दिन तुम्हारी आदत जो मैं बन गया तो यह ख़्वाहिश आफरीन होगी...

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28 APR AT 11:51

तुम्हारे इत्र की सुगंध है बहुत मनमोहक मगर अब दूर कहीं से आती है,अब भी महकती तो होगी तुम बहुत मगर अब सुझाई नहीं देती...

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25 APR AT 22:24

मेरी तरसती नज़रें एक दिन तेरे दिल में मेरी ख़लिश का नया अध्याय लिखेंगीं...

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24 APR AT 23:34

'बेहिसाब', 'बेचैन', 'बेलगाम', 'बेपरवाह', 'बेवक्त' पनपे थे जो जज़्बात मेरे,तेरे 'बेरंग', 'बेधुले', 'बेदर्द', 'बेरहम', 'बेजान' इश्क के लहजे में "बेनकाब" हो गए...

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18 APR AT 11:12

खैरियत पूछनी है तो अदब से पूछो,अब मेरे जज़्बात तेरी रहमत के अल्फ़ाजो पर नहीं पलते...

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16 APR AT 13:54

बातों को सोचता हूँ बातों से जोड़ता हूँ,
बातों से जुड़ता हूँ,बातों से छिटकता हूँ,
बातों से हँसता हूँ,बातों से बिफरता हूँ,
बातों पर मरता हूँ,बातों से मारता हूँ,
बातों से पसीजता हूँ,बातों से सुलगता हूँ,
बातों पर फिसलता हूँ,बातों से संभलता हूँ,
बातों से रूठता हूँ,बातों से मान जाता हूँ,
बातों से तपता हूँ, बातों से जमता हूँ,
बातों से मानता हूँ,बातों से मनवाता हूँ,
यूँ तो हैं रास्ते बहुत, पर तुझ तक यू हीं बातों-बातों में पहुँच जाता हूँ...

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3 APR AT 10:22

दूर खड़े "मैं" मेरे मन के ख्यालों को ढील देता हुआ तुझ तक पहुँचा ही गया,तेरी भीनी-भीनी खुशबू से खुश होता,तेरी बातों को करीब से सुनता,तेरे हाथों की नमी को महसूस करता,पलखों को तेरी मृगनयनी आँखों को भीतर छुपाते देखता,हवा से बिखरते तेरे बालों को संवारता-ये मेरी फंतासियों की यायावरी मुझे पसंद आती है...

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2 APR AT 8:20

क्या कहूँ सोचता हूँ,हर शब्द को तोलता हूँ,एहसास जताने से झिझकता हूँ,ये रिश्तों को कहाँ ले आया "मैं",कि "तेरा होने" को तरसता हूँ...

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