Abhinav kumar gautam   (abkrofficial)
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Joined 15 March 2018


Joined 15 March 2018
15 FEB 2022 AT 15:41

हर सफर में तू चैन दे....
हर सुकून पे तू जान दे...
हर करवटों पे तू आह दे...
मेरे हर शिकन पे तू ठंड़ दे...

आ करीब हो कर तू...
मेरे बेखबर कहानियों का तू मान दे...
इस जन्म कम से कम...
मर कर जितने का तू सम्मान दे..

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29 DEC 2021 AT 12:44

चले भी जाए हम अगर अलविदा कह कर भी...
वजूद मिटा नहीं पाओगे मेरा...
किसी दिन याद आ भी जाऊँ...
भूल से ही सही...
देख लेना तारों को दूर से तुम...
अगर आँख भर आए तो...
जाते-जाते बस इक सलाम कर जाना...

अगर फिर से देख कर नफरत हो जाए तो...
छोड़ जाना मुझे अकेले उसी आसमानों में...
फिर से लौट जाना
ना आने की कसमें खा कर...
लेकिन हाँ...
मैं तब भी तुम्हारा ही दीदार करूगाँ
तुमसे दूर रह कर भी....

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14 MAY 2021 AT 12:39

I barely remember when I talked last
But it was a feeling, wasn't a joke
Your blushing eyes, your black eyelashes were killing me
But suddenly you choked me in the middle of the night
And broke me into thousand pieces
And buried me into a coffin
Anyways, it was your way of love
Well, it's good to be unloved sometimes
I know, I lost the battle before it beguns
But honestly, I was no idea
Why I was lost in your untouchable feelings
Still craving your name on the wall
To touch your pure soul
Still am waiting to watch sunset with you
Can we say again "hi" together to the vanilla sky
Can we "kiss" again each other in the moonlight
Can we come back
Can you,
Can you lean on me like as a "sunflower"

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2 MAY 2021 AT 10:26

In a relentless night....
There was a cozy fog...
Sirens sounding on haunted roads...
All was flurried around....
Only two were deadly lost...
A monarch and a consort...

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10 APR 2021 AT 11:29

Her hiding faces
Behind closed doors
Like, I am losing
In mermaid hands

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4 APR 2021 AT 14:19

ये इश्क़ का दौर था
कैसे बता दें तुम्हें
लब पे कोई नाम ना था तेरा
ऐसा कैसे कह दें तुम्हें

खैर छोडो, अब जाओ भी
लूट लो महफिल आज तेरी बारी है
अश्क से पलकें भीगोंने की
आज जो मेरी बारी है

हूँ तेरे दर का ठोकर खाया हुआ
महँगा था इश्क़ जो तेरा
टूट कर मैं बसता उसमें कैसे भला
अच्छा किया, मेरी हर इक रूह को जला कर तूने


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31 MAR 2021 AT 21:44

कुछ ख्वाब दे दो
कुछ ख्वाब ले लो
मेरे ढलते शाम के अरमानों को
बस इक आग दे दो

ना शहर माँगो तुम मेरा
ना तेरा रास्ता माँगूगा मैं
इस फिक्र की उलझनो में भी
बस तेरे प्यार का बस्ता माँगूगा मैं

ढूँढ कर आखिर लाना है मैंने तुम्हें
मेरे दहलीज़ को यूँ छोड़ जाओगी कैसे
दस्तक साँसो में रोज दिया करती हो
इजाज़त जो तेरे बगैर की तुझे उस खुदा से मांगा भी नहीं जाता


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29 MAR 2021 AT 11:25

मंजिल-ए-खाक से पहले
तूने ठुकडा क्यों दिया
खास सी मुहब्बत को तूने
आम सा क्यों बना दिया
तमन्ना की थी
जिंदादिल रखने की सदा तुम्हें
इस तपीस में डालकर तूने
मुझे बेगाना क्यों बना दिया

दो-चार दिन की जिंदगी भी
तुमसे ना निभी सही से
अब गुम होने का फैसला तेरा है
तो अच्छा ही होगा
संदेशे आते हैं आज भी तेरे खुदा से
तू खुश नहीं है इन दिनों
अधूरी ही सही तड़पने का
अच्छा बहाना ढूँढ लिया है तुमने

अक्सर ख्वाब का यूँ तेरा बदलना
मुझे समझ आता नहीं
या फिर तेरी मजबूरी है जो की
मैं पहचानता नहीं
पर जिस दिल पे गुजरती है
बस उसको ही खबर होती है
बिखरने के गम में
ये कितने जार-जार सा रोता है




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26 FEB 2021 AT 23:01

हदें तोड़ आओ तुम
बढे़ चले आओ तुम
हैं यहीं पे हम
जाएंगे किस ओर बिन तुम

हर पत्थर अब मूरत सी है
जिंदगी तुम बिन बंजर सी है
माना की मैनें तोडा़ भरोसा
गलतियों का जो मुझको अंदाजा़ न था

तिल-तिल कर हर पल मरता हूँ मैं
तेरे ही बारे में यूँहीं नहीं सोचता हूँ मैं
रख्खा है एतबार उसपे खुद से भी ज्यादा
किश्तों में सही प्यार ले कर आओगी तुम

यूँहीं मुलाकात हुई ना थी तुमसे
पता जो न था इतने करीब आ जाओगी तुम
बरबाद हो रहे बेइंतहा तेरे जाने के गम में
तेरी बेअवाज इश्क़ पे जो रश्क होने लगा था

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26 AUG 2020 AT 23:39

हो तुम भी यंही कंही
मालूम है मुझे
जाओगे तुम मगर
ये भी मालूम है मुझे
रहने भी दो मेरा समंदर
मेरे मुट्ठियों में कैद
मुझे हक़ से जी लेने की
आजादियां दो तुम मुझे

ए अजनबी, तू अपनी नज़रों में
मुझे आबाद कर या ना कर
मौजी हूँ तेरा
जाहिर तो करने दे मुझे
गैर होकर तेरी नींदों में सोता हूँ
घुलने की इज़ाज़त तो दे मुझे
लेकर हूँ तुझे कुछ ज्यादा ही बेचैन
आ ले चल अपनी रातों में तू अब मुझे



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