खता ही तो है
इश्क़ और क्या है
सज़ा ही तो है
जो मिलता हर दफा है
ढूंढे वो मिलता नही
वो सुकू भी कही
दिल में ही बस है कही
फिर भी हम बेचैन है
ना जाने वो कौन है
जिससे देखी ना गयी
मेरी जिंदगी में खुसी
होता है ऐसा ही क्यों
इश्क़ में हर दफा
लगता है जब सब सही
टूटता है दिल तभी
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