Abhinav Ankit   (अभिनव अंकित)
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थिरके जो शब्द, मेरी कल्पना की स्याही में रंगे!
Instagram handle: @ankit.abhinav24
Joined 6 January 2019


थिरके जो शब्द, मेरी कल्पना की स्याही में रंगे!
Instagram handle: @ankit.abhinav24
Joined 6 January 2019
24 APR AT 12:40

पता नहीं कैसा अजीब सा उन्माद है ये,
हर दूसरी शक्ल में मुझे तलाश तेरी है!!

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11 APR AT 23:16

ये तन्हाई शोर बहुत करती है,
खालीपन अकेलेपन से कर रूबरू,
बात अनेक करने लग जाती है,
एक से दूसरी और तीसरी अपूर्ण लक्ष्यों की ओर धकेलती,
नींद से दूर, दलदल के समीप छोड़ आती है,
कैसे गुज़रे ये रात सुहानी,
तपिश में तो थी ही, ये अंधकार भी अब जलाने लगी है!!

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11 APR AT 20:07

एक अंतहीन ख्वाहिश जिसकी आपूर्ति नहीं,
वो सफर जिसकी मंज़िल नहीं,
दिल की आरज़ू थी तुम,
जिसका अब कोई विकल्प दिखता नहीं!!

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8 APR AT 18:54

जब खुद से ही नाराज़ हूं मैं,
अपने ही किए को बिगाड़ने की फितरत है मेरी,
तो दूसरों के पीछे अपनी गलतियों को छिपाना क्यों है,
बस ये अंतर्द्वंद्व है मन में मेरे भयंकर,
खुद को खुद से पराजित करने की है आरजू,
मैं ही हूं इस चक्रव्यूह का रचयिता और मैं ही योद्धा,
क्योंकि ये युद्ध सदा से ही,
मेरे स्वयं की स्वयं से है!!

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6 APR AT 23:27

ना जाने ये उलझन है,
या उलझनों का सरल उपाय,
या बंदिशों में जकड़ी रूह को,
आजाद करने की कवायद,
ना आर दिखता ना पार,
समय की सुइयां छलनी कर देती दिल को,
अंतर्मन से आए यही पुकार,
इसे विलक्षित कर, ना घबरा कर दूरी कर इनसे,
खुशियों के हैं ये सपने असली पर्याय!!

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6 APR AT 21:08

अरमां हजार हैं,
पर ख्वाहिशों की आपूर्ति करने को साथ नहीं किसी का,
तन्हा विचरने की हालत रही नहीं,
पर हाथों में हाथ कहां अब किसी का!!

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5 APR AT 23:52

तो चौंक के नींद से जाग उठा मैं,
असल में परछाइयों का भी दीदार नहीं है तुम्हारे,
ख़्वाब को चैन देना चाहते हैं हम,
असलियत तो तुम्हारे अलगाव और विरह से ही भरी है!!

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5 APR AT 23:39

किताबें हैं, पन्ने हैं, कहानियां हैं, किरदार हैं,
रूबरू जिंदगी के पहलू हैं,
कसमे हैं, खेल खिलोने हैं,
ये रास्ते लंबे हैं, चाहतों से अपनी,
या छोटे हैं, ख्वाहिशों से अपनी,
धुंधली हैं, या रास्ते ही अगम्य हैं,
यादें हैं, अपने,
पर क्या सच में अपने हैं!!

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12 JAN AT 17:01

के धुंध वाली राहों की आंखें नहीं होती,
तमन्नाओं की भूख शांत नहीं होती,
ये सब कुछ जान लेने की ललक वैसी ही है,
जैसे शेर के दांत गड़े हो मांस में,
बे नींद रात, सैंकड़ों ख्वाब,
मजबूत पंजे, शिकार के लिए तैयार!!

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10 JAN AT 22:55

जागती रही, ख्वाब बुनते रही,
सोचती रही, आगे की राह मुकम्मल हो किस तरह,
ये ख्वाब हैं, जो सोने देते नहीं,
करवटें बदलते हैं, नींद जो आती ही नहीं!!

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