हर बात की एक वजह होती है,बेवजह कुछ भी नहीं है।गीत गज़ल सब कुछ वही है,पर कुछ है जो अब नहीं है। -
हर बात की एक वजह होती है,बेवजह कुछ भी नहीं है।गीत गज़ल सब कुछ वही है,पर कुछ है जो अब नहीं है।
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मेरे दहलीज पर अब किसी दरिया का आना नहीं होता,बरसों से अकेली, सूखी रेत हूँ मैं।मुझसे हमदर्दी की कोई उम्मीद मत रखना,जज्बातों का बंजर खेत हूँ मैं। -
मेरे दहलीज पर अब किसी दरिया का आना नहीं होता,बरसों से अकेली, सूखी रेत हूँ मैं।मुझसे हमदर्दी की कोई उम्मीद मत रखना,जज्बातों का बंजर खेत हूँ मैं।
एक भीड़ बस्ती थी मुझमें,पर अब ख़ामोशी से हैरान हूँ।हर शाम की लत थी मुझे,अब हर शाम से परेशान हूँ। -
एक भीड़ बस्ती थी मुझमें,पर अब ख़ामोशी से हैरान हूँ।हर शाम की लत थी मुझे,अब हर शाम से परेशान हूँ।
साक्षरता पर राजनीति भारी है,पढ़ाई रद्द है पर रैली जारी है। -
साक्षरता पर राजनीति भारी है,पढ़ाई रद्द है पर रैली जारी है।
आज फिर एक शाम ढल गई,तेरे आने की ख़बर टल गई। -
आज फिर एक शाम ढल गई,तेरे आने की ख़बर टल गई।
हर रिश्ते-नाते,इश्क,प्यार पर,उनकी मोहब्बत भारी है,अपनी सांसों से भी ज्यादा उन्हें शहादत प्यारी है। -
हर रिश्ते-नाते,इश्क,प्यार पर,उनकी मोहब्बत भारी है,अपनी सांसों से भी ज्यादा उन्हें शहादत प्यारी है।
पल भर की मोहब्बत में,हर पल बिगड़ते हैं।एक लम्हे की जिन्दगी है,पर हर लम्हा अकड़ते हैं। -
पल भर की मोहब्बत में,हर पल बिगड़ते हैं।एक लम्हे की जिन्दगी है,पर हर लम्हा अकड़ते हैं।
जब आँखें जागती थी, तो अपने अपने में खोए पड़े थे।आज मैने आँखें बंद कर दी,तो वो नजरें भिगोए खड़े थे। -
जब आँखें जागती थी, तो अपने अपने में खोए पड़े थे।आज मैने आँखें बंद कर दी,तो वो नजरें भिगोए खड़े थे।
मुझे ज़रूरत नहीं है, कहकर अपनी ज़रूरत टालते हैं,वो पापा ही है,जो खाली जेब में भी हमारी ख्वाईशें पालते हैं। -
मुझे ज़रूरत नहीं है, कहकर अपनी ज़रूरत टालते हैं,वो पापा ही है,जो खाली जेब में भी हमारी ख्वाईशें पालते हैं।
अंधेरी घनी रात के बाद ही रौशन सवेरा होगा,जो आज तेरा न है,वो कल यकीनन तेरा होगा। -
अंधेरी घनी रात के बाद ही रौशन सवेरा होगा,जो आज तेरा न है,वो कल यकीनन तेरा होगा।