ABHILASHA RAJ VERMA   (©𝑎𝑏ℎ𝑖 "ਸ਼ਾਵਿਕਾ")
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Joined 15 November 2018


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Joined 15 November 2018
14 SEP AT 23:51

Surviving in a generation where AI is more
trustworthy than people.

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5 SEP AT 21:49

Punjab Stands Strong 🩵

When floods came, the governments were missing … but Punjab did not break. Our youth, local people, NGOs and even our Punjabi celebrities stood up first, proving that humanity is stronger than any system. This Sewa, this spirit of standing for each other — this is true Punjabiyat 💪🏻. Let’s keep supporting and strengthening our own, because Punjab da dil hamesha wadda ae (Punjab’s heart is always big) ♥️.
Indeed I also want to be there on Ground Zero for Sewa but I can't be there due to some reasons so I'm extending my support to Hemkunt Foundation, Khalsa Aid India, Sachkhand Foundation & TheGlobalSikhs. Whatever I gave it's nothing in front of what we need but still in a building every brick has its own necessity & value. Sometimes it's not about the amount or service but your intention & humanity.
We Will Rise Again 🧡

Nanak Naam Charhdikala, Tere Bhaane Sarbat Da Bhala 🙏🏻

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28 AUG AT 22:59

तू पास बैठी हो
थाम लूं मैं वो वक्त वहीं
और चाँद गवाह बने।

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28 AUG AT 22:48

Never uninstalling it even for once since 2018 irrespective of mobile's space & renewing premium membership despite knowing that you won't be that much active.

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24 AUG AT 23:58

मिलते ही दोनों प्रीति में, उसने कहा पुकार।
"देश सदा है अग्र पहले, फिर तुमसे है प्यार॥"
हँसकर बोली प्रिया तत्क्षण, "भविष्य कठिन सवाल।
हनीमून ना बन पड़े कहीं, छावनी का ही ताल॥"


// शेष अनुशीर्षक में //

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23 AUG AT 23:58

— % & — % &

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22 AUG AT 23:57

"लालटेनों वाली सड़क"

कस्बे से बाहर निकलते ही एक पुरानी सड़क थी जिसे लोग “लालटेनों वाली सड़क” कहते थे। कहा जाता था कि इस सड़क पर रात को जलती-बुझती रोशनी दिखती है, लेकिन उसका कोई स्रोत कभी नहीं मिलता।
एक रात तीन यात्री उस पर निकले–आतिश, नीर और समीर।
आतिश तेज़ और अड़ियल था। सब कहते “आग से खेलना” उसकी आदत है ख़तरों में भी वह पीछे नहीं हटता। नीर के लिए लोग कहते “उसके पेट का पानी नहीं पचता" यही उसकी असली पहचान है। समीर चंचल और बदलते मन का था। उसके लिए मशहूर था “हवा का रुख बदलना”।
चलते चलते तीनों सड़क पर एक ही जगह आ पहुंचे। अचानक सड़क पर तीन लालटेनें जलीं–हर लालटेन के नीचे उनके नाम खुदे थे।
आतिश ने अपनी लालटेन उठाई, नीर ने हिचकिचाकर हाथ बढ़ाया और समीर हँसते हुए आगे बढ़ा। तभी रोशनी बुझी और अँधेरा छा गया।
सुबह सड़क पर बस दो लालटेनें पड़ी मिलीं, तीसरी कहीं ग़ायब थी।
लोग आज तक नहीं जानते–कौन बचा, कौन ग़ायब हुआ… और तीसरी लालटेन किसके हाथ में है !?

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21 AUG AT 23:56

"अमर प्रेम"


अरे सुनो ना
तुम्हारी ही तो हूँ मैं!
तुम्हारे ज़हन में अक्सर ही रहती हूँ
कभी ख़याल बनके तुम्हारे दिल में उतरती हूँ .......


//शेष अनुशीर्षक में//

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20 AUG AT 23:55

प्रिय अक्षि,

कैसी हो प्रिये? मैं कुशलपूर्वक हूँ।
जब भी मैं हम दोनों के बारे में विचार करता हूँ प्रतीत
होता है मानो तुम मेरी राधा हो और मैं तुम्हारा कृष्ण।
जैसे श्याम मोरपंख धारण किए हुए अपनी बंसी बजाते
थे और किशोरी जी श्रृंगार किए हुए उनकी तरफ दौड़ी
चली आती थीं ठीक उसी प्रकार मैं तुम्हारी दृष्टि के लिए
प्रतीक्षारत रहता हूँ। कहते हैं उनके वियोग में गोपाल ने मुरली तोड़ दी थी, प्रिये तुम्हारे बिना भी कोई मुझे देख नहीं सकेगा।यदि मैं किसी को उनका अक्स, छवि, प्रतिबिंब, अतीत कुछ भी दर्शाऊंगा तो सिर्फ तुम्हारी उपस्थिति में, यही मेरा तुमसे अलौकिक, दैविक प्रेम है। कोई मूर्ख ही होगा जो "अंधों के शहर में आईना बेचेगा" जहाँ तुम वहाँ मैं। तुम्हारे बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं है जिस प्रकार शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं उसी प्रकार तुम्हारे बिना मैं। अपना ध्यान रखना ♥️

सदैव तुम्हारा दर्पण

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10 MAY AT 7:15

जंग अच्छी है
जिन्होंने खोया नहीं कभी किसी अपने को
जो गए नहीं कभी अपनी घर की सीमा से बाहर
जो सुरक्षित बैठे हैं अपने स्थान पर
जिन्हें सिर्फ़ मिर्च मसाला चाहिए
उनके लिए जंग अच्छी है।
जिन्होंने किया नहीं किसी के लौट आने का इंतज़ार
जो कभी किसी के वियोग में नहीं रहे
जो नहीं जानते वीरों और उनके परिवारों को
जिन्हें नहीं पता बिछड़ने का दर्द और ग़म
उनके लिए जंग अच्छी है।

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