अभिजीत   (अभिजीत जनार्दन)
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Associate Producer @aajtak
फाॅलो बैक का वादा रहा..!
Joined 13 February 2017


Associate Producer @aajtak
फाॅलो बैक का वादा रहा..!
Joined 13 February 2017
29 APR AT 14:20

जो शब्द नहीं लिखे गये,
जो भावनाएं दबा दी गई.
जिन तकलीफों को-
महसूस नहीं किया जा सका;
जिन्होंने महफ़िल में आने से पहले-
आंसू को घूंट बना लिया.
वो हो सकती थी;
दुनिया की सबसे बेहतरीन कविता!
सबसे शानदार पेंटिंग;
परदे पर जोरदार अभिनय-
दिल को लुभाने वाली धुन.

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28 APR AT 19:06

मैंने देखा-
एक गांव में कई वोटरों के पेट खाली थे,
मगर आंखें उम्मीदों से भरी थी।
जैसे सूखते डालियों पर कोंपल हरी थी,
जो रैलियों में नेताओं के झूठे वादों पर फरी थी।
#Election2024

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24 APR AT 23:45

क्यों जिये हर वक्त यूं गमगीन होकर.
दिल लगा है इश्क़ में नमकीन बनकर!

प्यार को तोलो अगर तो रखो पलड़े पर यकीन,
शिकवे छोड़ो, जिंदगी ऐसे ना जिओ दीन बनकर!

रिश्तेदारी बस टिकी अपने फन और फायदे पर,
आदमी इतना सयाना रह गया एक बीन बनकर!

जब तक जुल्मों की खबर आंखों को तेरी धो ना दे,
तू नहीं इंसान के काबिल, रहा मशीन बनकर!

जिस कदर इंसान अपने नाम खातिर जी रहा है,
एक दिन गुजर वो जाएगा फिल्म का एक सीन बनकर!

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24 APR AT 0:15

क्यों जिये हर वक्त यूं गमगीन होकर.
दिल लगा है इश्क़ में नमकीन बनकर!

प्यार को तोलो अगर तो रखो पलड़े पर यकीन,
शिकवे छोड़ो, जिंदगी ऐसे ना जिओ दीन बनकर!

रिश्तेदारी बस टिकी अपने फन और फायदे पर,
आदमी इतना सयाना रह गया एक बीन बनकर!

जब तक जुल्मों की खबर आंखों को तेरी धो ना दे,
तू नहीं इंसान के काबिल, रहा मशीन बनकर!

जिस कदर इंसान अपने नाम खातिर जी रहा है,
एक दिन गुजर वो जाएगा फिल्म की एक सीन बनकर!

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21 APR AT 1:26

एक सुबह जो उठूं ही ना
तो इतना करना दोस्तों
कोई तो मुझसे पूछना कि
मैं कहां पर हूँ!

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21 APR AT 1:16

एक रात जो उठूं ही ना
तो इतना करना दोस्तों
कोई तो मुझसे पूछना कि
मैं कहां पर हूँ!
🙏🏻

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20 APR AT 13:10

मेरा जीते जी खयाल रखा नहीं,
फिर तुम मरने पर शोक मत करना!

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20 APR AT 4:33

कोई नज़रों से ऐसे उतरा है,
मेरे सपनों का मनका बिखरा है.
रातदिन,सुबहोशाम,8पहर; चौघड़ियां;
संभालता हूँ ये दिल उजड़ा है!
बहुत उम्मीदें आदमी को डुबो देती हैं,
यहां मझधार नहीं, पैर तेरा फिसला है.
हम नये सफर पर अब फिर ना निकल पाएंगे,
बीच रस्ते पर अपना एक यार बिछड़ा है!
अब ना फिर लौटकर घर जाने का मन होता है,
जिसपर दावा करते, गांव पूरा हिस्सा-बखरा है!
हर कोई छोड़ दे तो मां करीब होती थी,
वो गयी दूर, सांस रूंधने का खतरा है.
❤️

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20 APR AT 4:28


कोई नज़रों से ऐसे उतरा है,
मेरे सपनों का मनका बिखरा है.
रातदिन,सुबहोशाम,8 पहर; चौघड़ियां;
संभालता हूँ ये दिल बिखरा है!
बहुत उम्मीदें आदमी को डुबो देती हैं,
यहां मझधार नहीं, पैर तेरा फिसला है.
हम नये सफर पर अब फिर ना निकल पाएंगे,
बीच रस्ते पर अपना एक यार बिछड़ा है!
अब ना फिर लौटकर घर जाने का मन होता है,
जिसपर दावा करते, गांव पूरा बिखरा है!
हर कोई छोड़ दे तो मां करीब होती थी,
वो गयी दूर, सांस रूंधने का खतरा है.

❤️

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18 APR AT 13:07

फिर गिराएंगे लोग अपनाकर,
बाज़ ना आएंगे दगा देकर.
तुम ना कोई नयी कहानी रचो,
लोग जाएंगे दिल को बहलाकर.
कुछ नहीं कहना उन लतर से मुझे,
जो खिले आज, हमें मुरझाकर.
रही उम्मीद, बचे ख़्वाब, आशिकी थोड़ी;
दीये की रौशनी, बारिश; वो रंगो-आब होली!
किसके वादे इरादे बदले हैं,
छोड़ो भी क्या फकत वफा करतें..
घुटन के दिन, तड़प की रात सभी-
जिंदगी! हम चलें सदा देकर.
🙏

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