अभिजीत आनंद 'काविश'   (काविश_की_कलम_से✍️)
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Joined 31 March 2020


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Joined 31 March 2020

नींद अधूरी ही रही,
ख्वाहिशें लिपटी मगर, तुझसे दूरी ही रही!!

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बसती नहीं है, कोई और सूरत अब इन आंखों में,
काश कि हमने तुझे इतने गौर से निहारा ना होता...!!

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केशरीनंदन,विक्रम बजरंगी, पवनपुत्र,
महावीर,संकटमोचक नाम तिहारे,
प्राण बचाए लक्ष्मण के तुम, रामलला के सबसे दुलारे!!

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वक़्त बखूबी से सीखा देता है,जीवन के मायने साहब,
फिर नियति क्या? लकीर क्या? और तकदीर क्या?

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हे करूणानिधान, आकुल है प्राण,
बरसों की प्रतिज्ञा रंग लाई है,
चंचल,धवल,सरोज सकल,
अबकी रामनवमी हर्षाई है,
निश्चल,सरल,अनुराग,अटल,
भक्ति ही प्रभु श्रीराम को भाई है,
सियाराम का बस स्मरण मात्र ही,
सकल जगत में सुखदाई है।



जय जय श्रीराम 🚩🚩

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दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है नव आरंभ,
सभी सनातनी हिन्दू के नववर्ष का आरंभ।

नौ दुर्गा के आगमन से शोभित होता नववर्ष,
अधर्म पर धर्म की विजय से पुष्पित हो नववर्ष।


आपको और आपके परिवार को
हिन्दू नववर्ष एवम चैत्र नवरात्रि की
हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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दिखा कर हसीन ख़्वाब, हकीकत को गुमशुदा बताती है,
मेरी जिंदगी मुझे हर दिन अप्रैल फूल बनाती है.....!!

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दिल हार बैठा हूं जो तेरे इश्क़ में,अब कैसे अपनी मैं जीत लिखूं,
गीत लिखूं या प्रीत लिखूं कह दो क्या मैं तुझे मीत लिखूं !!

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आज फिर से उनका इश्क़-ए-आगोश,
मुक्कमल हो जाए ऐ खुदा,
जिनकी गर्म सांसें आज भी,
इस दिल पे मरहम का काम करती हैं!!

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