Abhijeet Khare   (-अभिजीत खरे)
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एक नजर में पत्थर हूँ, एक नजर में हूँ पानी ।
कहने को अनपढ़ भी मैं, कहने को मैं ज्ञानी ।।
Joined 4 July 2019


एक नजर में पत्थर हूँ, एक नजर में हूँ पानी ।
कहने को अनपढ़ भी मैं, कहने को मैं ज्ञानी ।।
Joined 4 July 2019
20 SEP 2022 AT 23:26

बिखेर दिए रंग सभी, बेरंग हुआ सारा जहाँ..
हर कश पीता बैठ गया, धुँआ जाता तो जाता कहाँ..

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29 JUL 2022 AT 1:20

बिस्तर में पड़ा
पंखे को देखता हुआ
सोचता..

ये अंधेरा कमरा, घूमता पंखा
मैं, ख़ामोश रातें और.. और ?
और शायद अफ़सोस ।।
किसी चीज की तलाश
फिर आँखे बनी लाश और..
और वही पुराना अपंग लाल
मन की भाग-दौड़, थकान,
बेचैनी, चिड़चिड़ाहट आम बात ।
आधा पेट, आधा मन और.. और ?
और शायद आधी बात ।।
बिस्तर में पड़ा
पंखे को देखता हुआ
सोचता..

ये अंधेरा कमरा, घूमता पंखा
मैं, ख़ामोश रातें और.. और ?
और शायद अफ़सोस ।।

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9 FEB 2022 AT 8:52

अफ़साने हक़ीक़त और दुआ ।
मेरे सच मे सच है छुपा ।।

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29 DEC 2021 AT 1:06

जो बात निकली इश्क़ की,
हम भी दावेदार बन बैठे ।

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18 NOV 2021 AT 0:23

जैसे पी रहा हूँ प्याला ज़हर का,
हर एक दिन ।
मानो एक ख़ूबसूरत दुनिया,
सिर्फ मेरे बिन ।।

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18 OCT 2021 AT 13:56

मैं तो दुश्मन का दिल भी जीत लूं ।
और तुम्हें तो फिर भी, मैंने अपना कहा था ।।

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23 AUG 2021 AT 23:36

मेरी उम्मीदों का क़त्ल तूने यूँ कर दिया ।
गुलज़ार में गुलदान! और उसमे नया गुल रख लिया ।।

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27 JUL 2021 AT 23:12

Zameen me yun dhasse huye
ki sanse nahi milti..
Zameer yun mar gyi ki nazr utha kru batein..
aysi batein nahi milti.

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22 JUN 2021 AT 23:38

था इश्क़ गहरा यूँ..
कि चोट कर गया,
मैं देखता रहा..
वो दिल नोंच ले गया,
आज फिर सोचा इतना..
कि सिर्फ अफ़सोस रह गया ।

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22 JUN 2021 AT 23:33

इतना टूटा कि अब टूटता ही नहीं,
नहीं भरोसा अब कोई बता दो उन्हें ।।

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