आईने में पहले एक चेहरा हुआ करता था मैं, ये मुझे क्या हो गया है क्या हुआ करता था मैं, प्यास कि सुरत खड़ा हूं आज सबके सामने कौन मानेगा कभी दरिया हुआ करता था मैं
उम्र बहुत बाकी है अभी हादसे अभी तमाम होंगे हादसों से मिले जख्मों में दर्द के बड़े निशान होंगे सीखेंगे बहुत कुछ मगर शब्द गुमनाम होंगे गिरेंगे, उठेंगे, संभालेंगे मेहनत के किस्से तमाम होंगे अंततः जाना वहीं से होगा जहां से मौत के तमाशे सरेआम होंगे
उम्र बहुत बाकी है अभी हादसे अभी तमाम होंगे हर हादसे से उभरेंगे हम सभी चुनौतियों के कत्लेआम होंगे इस जंग मे जख्म भी तमाम होंगे जख्म हैं जो निड़र वीर इक दिन वो अजेय निशान होंगे साथ खड़े लोग ही हमारा ईनाम होंगे फिर इक दिन हम भी गुमनाम होंगे जख्म हैं जो निड़र वीर इक दिन वो अजेय निशान होंगे उम्र बहुत बाकी है अभी हादसे अभी तमाम होंगे