aarti gupta   (Aarti Gupta)
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Joined 30 October 2019


Joined 30 October 2019
15 JUL 2023 AT 13:02

ये रिश्ते भी अजीब होते है
कुछ दिल से,कुछ खून से जुड़े होते है,
अपनी अपनी जगह महत्व दोनो रखते है,
खुशियां सावन-सी करते है।

ये रिश्ते भी अजीब होते है
कभी पास,कभी दूर होते है,
दिल की डोर से हमेशा बंधे होते है,
मुश्किल में साथ हर वक्त खड़े होते है।

ये रिश्ते भी अजीब होते है
कभी पेड़ की छांव,
कभी पहली बारिश से बरसते है,
यही हर सुख दुख में निहाल करते है।

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23 DEC 2022 AT 11:08

जाना तेरी कमी खल रही है
कहने को बस ये साँसे चल रही है
राते भी ये बेशर्म-सी हो गयी है
जो ढलने का नाम ही नही ले रही है।

जाना तेरी कमी खल रही है
कानो में भी रुसवाई से चल रही है
Dude कहने को ज़ुबा भी तरस रही है
लगा आज ऐसे जैसे जान निकल रही है

जाना तेरी कमी खल रही है
अकेले नही ये मोहब्बत सम्भल रही है
धडक़न राधे की तड़प समझ रही है
तेरी कमी कायनात बदल रही है

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22 DEC 2022 AT 14:54

तेरा इंतज़ार ,
इस दिल को अब तड़पाने लगा है,
सर्द मौसम गर्माहट को तरसाने लगा है।
उगता सूरज तन मेरा जलाने लगा है,
विरह पीड़ा बढ़ाने लगा है।

तेरा इंतज़ार ,
दिन तो कटवा देता है,
ढलता सूरज तेरी यादे सौप देता है।
इस भीड़ भरी दुनिया में दिल कपता है,
तेरे मिलन को मन मेरा विचलन करता है।

तेरा इंतज़ार ,
आगोश में भरता तन्हाई है,
तेरी एक तस्वीर ने ये राते कटाई है।
रूह ने मेरी तुझे ही आवाज़ लगायी है
मिलन के बाद ये पहली जुदाई है।

(विचलन - मार्ग से भटक जाना)

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15 DEC 2022 AT 10:20

रिश्ता समझना मुश्किल होता जा रहा है,
दूरियों का मिलाप होता जा रहा है,
बातो का सिलसिला अब थमने जा रहा है,
क्या इस रिश्ते का अंत होने जा रहा है।

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15 DEC 2022 AT 10:12

तेरे पास होकर भी दूरियों का एहसास होने लगा है,
क्या तू अब किसी ओर के करीब होने लगा है।

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14 DEC 2022 AT 13:50

मुश्किल है तेरे बिन जीना
जैसे बिन पानी के मछली का तड़पना
बिन तारो के ये आसमान होना

मुश्किल है तेरे बिन जीना
जैसे बिन रौशनी के चंद्रमा
बिन हवायों के साँस लेना

मुश्किल है तेरे बिन जीना
जैसे बिन सूरज के चकोर का होना
बिन रोशनी के अंधेरो में रहना

मुश्किल है तेरे बिन जीना
जैसे बिन पथ के रही का भटकना।
बिन मौसम के बारिश का होना

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14 DEC 2022 AT 11:15

हाँ माना गलत था मैं,
क्या तुम सही थे।

डूबा जब दरिया में,
क्या कभी मझदार तुम थे।

सूरज सा तड़पा था मैं,
क्या कभी चाँद से शीतल तुम थे।

दिल मे एक तूफान था मेरे,
क्या कभी कोमल पवन तुम थे।

टूटा जब जब था मैं,
क्या कभी हौसला मेरा तुम थे।

अंधेरो में फंसा था मैं,
क्या कभी उजाला तुम थे।

हाँ माना पूरा सही नही मैं,
क्या कभी पूरा करने में तुम थे।

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14 DEC 2022 AT 11:10

अधूरा नही यहाँ कोई,
पर पूरा कौन है।
बिन राधा के यहाँ
कृष्ण कौन है।
अधूरा नही यहाँ कोई,
पर पूरा कौन है।
बिन बाती के यहाँ
दिया कौन है।
अधूरा नही यहाँ कोई,
पर पूरा कौन है।
बिन बारिश के यहाँ,
माटी -सा महका कौन है।
अधूरा नही यहाँ कोई,
पर पूरा कौन है।
बिन माली के यहाँ
बगीचा बना कौन है।
अधूरा नही यहाँ कोई,
पर पूरा कौन है।
बिन गुरु के यहाँ,
विद्वान हुआ कौन है।

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14 DEC 2022 AT 11:07

प्यार खुदा का एक अज़ीज़ तोहफा है,
नवाज़ा जिसे अनोखा है
समझे तो एहसास भी पूरा है
न समझे तो समुन्द्र भी धोखा है

विश्वास से बंधा रिश्ता एक सलीक़ा है
सुकून ढूंढे तो चाँद में भी शीतलता है
बेसुकुन को चाँद में भी दाग दिखता है
प्यार खुदा का एक अज़ीज़ तोहफा है

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14 DEC 2022 AT 11:05

मोहब्बत हम आज भी तुमसे ही है करते,
पर हालातो में हम ऐसे है फसते,
जहाँ वक़्त ओर ख्याल दोनो है बिछड़ते,
एक आज़माइश तुमसे है हम करते,
साथ दोगी इस वक़्त के गुज़रते।

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