अमीरी व्यस्त है दुनियाँ में, तख़्त-ओ-ताज के खातिर गरीबी आज भी बस प्यार कि, मोहताज है मालिक इक इल्जाम है तुझ पर, जरा सुन ले मेरे मौला ये दो तरफा तेरा बर्ताव, क्या इंसाफ जैसा है ? — % &
प्रेम की परिभाषा , तुम से है प्रियवर अपूर्ण एक अभिलाषा, तुम से है प्रियवर यूं तो बहुत से लोग हैं साथ मेरे पर मेरे जीवनपथ की आशा, तुम से है प्रियवर— % &
प्रेम की परिभाषा , तुम से है प्रियवर अपूर्ण एक अभिलाषा, तुम से है प्रियवर यूं तो बहुत से लोग हैं साथ मेरे पर मेरे जीवनपथ की आशा, तुम से है प्रियवर— % &
जब मैं गिरूंगा, तुम हाथ दोगे मैं नहीं मानता.. अकेला रहूंगा, तुम साथ दोगे मैं नहीं मानता.. ये भी मान सकता हूं कि सूरज पश्चिम से उगता है पर तुम्हे मुझसे, अब भी मोहब्बत है मैं नहीं मानता...