एक बार मेरे साथ यारों खेल हो गया
जिससे था मिलन गलत उस से मेल हो गया
जीना हमेशा खुल के ऐसा कह के वो मिला
जैसे लगा हो पिछले जनम का ही सिलसिला
दोनों को थी दोनों की हर खता कबूल तब
पता नहीं चला कि कब से बदल गया सब
खुद दूर हो के उसने मुझे दूर कर दिया
फिर रोता मुझे छोड़ के मजबूर कर दिया
उसकी कोई गलती नहीं कहता चला गया
दर्द देता रहा वो और मैं सहता चला गया
फिर गजब का ऐ यार खेल शुरू हो गया
वो अनाड़ी का खेल छोड़ अब गुरु हो गया
हर बात में ज़लालत समझे बिना हालात
कर के वो छेड़ता रहा खाली मेरे जज़्बात
तुम गलत हो, मतलबी हो तुम सही नहीं हो
मेरी जिंदगी में कभी भी तुम कहीं नहीं हो
तुम इसके पीछे, उसके साथ उन के लिए हो
बेवजह मुझसे इतनी क्यों उम्मीद किए हो
जाओ, जिओ जिस संग हो जीना जो भी करो
ये भी वो कह गया के जाओ मरो तो मरो
कसम से कहूं क्या मैं उसी पल ही मर गया
लेकिन कोई दिल से मेरे बिल्कुल उतर गया
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