कभी शायद मैं खुद को याद करूं तो, एक ही ख्याल आता है, के जैसा तू पहले था अक्सर,वो मासूमियत कहां भूल आता है..? तुझे आजमाया गया खूब अपनों से, ये परायो को अपना बनाने का हुनर कहां भूल आता है..? शायद खो चुका है तू खुद को इस भूल भुलैया में, के शायद खो गया है तू भूल भुलैया में, तू अपनी नाम की पहचान कहां भूल आता है..?
अपनी तकलीफ़ को छुपाए बैठे हैं, अश्क भरी निगाहें झुकाए बैठे हैं, कब मुकम्मल होगा वो ख्वाब हमारा, उस वक़्त के लिए जान लगाए बैठे हैं, शिकायतों के दरिया तो हम भी बहा दें, शराफ़त में हैं तभी चुप्पी बनाए बैठे हैं।।
अब हो गया यकीन मुझे तू आयेगा ना लौट के, बात तेरी मेरे तक कुछ आई है यूं दूर से, तू तलाश में है किसी और की ओर देखे ना वो तेरी ओर है, जान मेरी, मेरी बात सुन तूने की जो मेरे साथ है, वो ना आयेगी तेरे पास में ये वक़्त की ही तो बात है, तू देख अब जैसे तूने किया था सामने तेरे आयेगा, तू ढूंढ़ता रह जाएगा पर तेरा यार अब फिर ना आयेगा, तेरा प्यार अब कभी ना आयेगा...
सुबह मेरी तेरे नाम से, शाम मेरी तेरे नाम से, काम जो भी किया मैंने पहचान मेरी तेरे नाम से, है तू ही मेरा आसमां ये भू भी तेरे नाम से, ये तन भी तुझको अर्पण मेरी रूह भी तेरे नाम से, तेरे लिए कुछ कर सकूं दे जान अपनी मर सकूं, होगा अमर जीवन मेरा जो नाम तेरा कर सकूं, तू ही मेरी आन है तू ही मेरा मान है, तिरंगा तेरे नाम का लहराएगा ये शान से, तिरंगा तेरे नाम का लहराएगा ये शान से...