बड़ी बहन कि तरह मुझे समझया करती है
छोटे बच्चो कि तरह मेरे साथ मस्ती किया करती है
जो रूठ जाऊ तो मुझे मना लिया करती है
अपनी मुस्कान से मुझे हर पल हसाया करती है
जब भी मिलती मुझसे शरारत कि डिबिया से
एक मुस्कान सी मेरे चेहरे पर दे जाती
कुछ दिन हुए तुझसे मिले
फिर भी ना जाने कितने वर्ष पुरानी ये दोस्ती लगती है
छोटी छोटी गलतियों से एक नई बात सिखाया करती है
थोड़े अजनबी है भले हम
लेकिन फिर भी अपनो कि तरह तू क्यों लगती है
तेरे साथ थोड़ी ज्यादा नादानी करती हूँ
फिर भी एक अलग तरह से
उस नादानियों का हिस्सा तू हर बार बना करती है
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