🅝🅔🅔🅛🅐🅑🅗 🅟🅐🅝🅓🅔🅨࿐   (नीलाभ)
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🖤-इलाहाबाद विश्वविद्यालय
Joined 9 July 2018


🖤-इलाहाबाद विश्वविद्यालय
Joined 9 July 2018

जिस्म देख ही मर मिटता था
कैसा अजीब आदमी था

था मालूम सुधर जाएगा
मुझको इतना तो यकीं था

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सुंदरता एक अचूक अस्त्र है,
जिसके समक्ष आपके सारे अस्त्र-शस्त्र बेकार हैं

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हादसों से तो कम होती हैं मौते आजकल
लोग आँखों मे डूब कर ज्यादा मर रहे हैं

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याद कर-कर के उसके वायदों को
अब मैं किसी से वायदा नहीं करता..

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किस किस मोड़ पर आ के मिलती हो
तुम फूल तो नहीं हो फिर भी खिलती हो

बात तुम हँस हँस के यूँ बताती हो
आँख देखती है थम के जब मुस्कुराती हो

दिल परेशां सा रहता है ज्यो देर लगाती हो
अब ठहर भी जाओ सदा के लिये क्यूँ आती जाती हो ..

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इस पार नहीं उस पार सही
इक ओर कहीं तुम मेरे हो
#Multiverse

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तुमने छेड़े थे जो कभी तार
है उसकी धुन अब भी सवार

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हाय रे! ये मिरी आंखों का रोग
एक ही शख़्स हर सम्त दिखाई दे

बाकी हर तरफ़ बस अंधेरा है
इस-क़दर बस एक चेहरा दिखाई दे

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बहुत खूबसूरत हो बा-कमाल हो
गर हो इजाज़त चुम लूं इन गुलाबी गाल को





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तेरे दर से निकाले गए जो
फिर कहाँ वे बेचारे जाएंगे

तुझसे मिलने के अब सारे ख़्वाब
एक-एक कर ख़सारे जाएंगे

रोमियो होंगे जुदा जूलियट से
कितने राँझे पत्थर मारे जायेगे

जैसे मर रहें हैं थोड़े-थोड़े हम
और कितने लोग मारे जाएंगे

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