चंद दिनों के LOCKDOWN से ही, घबरा रहे हो यार ?
अरे... अभी तो बस छूटा है, मुट्ठीभर संसार,
धूप, हवा, पानी, पंछी, मैत्री, प्यार, परिवार,
वादों, यादों, कलाओं और कल्पनाओं का संसार,
सीख, समझ की बातों और दुआओं का अंबार,
और अंततः अंतिम लक्ष्य, अंतर्मन अपरम्पार ...
अंतर्मन अपरम्पार, अंतर्मन अपरम्पार ...
ये सब कुछ अब भी अपना है, खुशियाँ है अपार,
बस ज़रा सा बदल नज़रिया, होवे बेड़ा पार ...
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