मेरे बस में हो तो,
कुदरत का लिखा हुआ काटता।
तेरे हिस्से में आए बुरे दिन,
कोई दूसरा काटता।
लोरियों से ज्यादा बहाव था,
तेरे हर इक लफ्ज़ में..
मैं इशारा नहीं काट सकता,
तेरी बात क्या काटता..!
संभल कर चलने का,
सारा गुरूर मेरा टूट गया।
वैसे मैं तो ये था के मैं,
कम से कम कुछ नया काटता।
कोई ऐसी बात अगर हुई कि,
जो तुम्हारे जी को बुरी लगी।
समझा लेना दिल को क्योंकि,
अब मैं किसी का नहीं काटता।
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