ब्याही हुई लड़कियां
पालतू लैब्राडोर सी होती हैं
वो थोड़ा ज़्यादा अपनापन खोजती है।
लोगों को ज़्यादा अपना समझती है
बहुत ज़्यादा खुश होती हैं
बहुत ज़्यादा रोती है
वो सभी से प्रेम करती हैं
सभी का प्रेम चाहती है।
बहुत कुछ कह नहीं पाती
कुछ कुछ कहने की कोशिश करती है।
वो भागती ज़्यादा हैं, हांफती ज़्यादा है
यादों की मिट्टि कुरेदने में उन्हें आनंद आता है
वो लोगों के मन को सूंघ लेती है।
दिन भर की तन्हाई के बाद
उन्हें एक गरमा गर्म आलिंगन का इंतज़ार रहता है
वो गलतियां कर के
मुंह किसी मासूम बच्चे सा बनाती है
उन्हें चाहने वाले सब होते हैं
समझने वाले कम।
लड़कियां लैब्राडोर सी होती हैं
उन्हें लीश में नहीं बांधना चाहिए।
- सुप्रिया मिश्रा
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