Mishty _Miss_tea   (Mishty's moment ©)
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Joined 30 September 2018


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Joined 30 September 2018
AN HOUR AGO

मेरे घर वाले नहीं मान रहें कहकर हर बार घरवालों के लिए प्रेमिका को छोड़ा गया और शादी के कुछ महीनों बाद पत्नी के लिए उन्हीं घरवालों को छोड़ दिया.... शायद इसीलिए की प्रेमिकाएं  कभी नहीं चाहती के उसकी वजह से तुम घरवालों से अलग हो...और पत्नियां कभी स्वीकार ही नहीं करती के मेरे आने के बाद ही बूढ़े मां बाप से अलग हुएं हैं — % &अपने अपने पास्ट में  जाओ तो पता लगेगा की आपकी  प्रेमिकाओं ने ना केवल आपको अपनाया आपके साथ खड़ी रही पर उसने हर मुलाकात में आपके मां बाप भाई बहन...सारे घरवालों का पूछा और सबके साथ घर बसाने के इंतजार में रही और जब मौका आया तो प्रेमी ने घरवालों का साथ दिया...मां बाप के बूढ़े होने का हवाला दिया और प्रेमिका को त्यागा गया.... लेकिन आज भी ज़माना नहीं समझा की शादी होते ही ज्यादातर पत्नियों ने घरवालों से अलग होने की मांग की तब किसी पति को मां बाप बूढ़े होने का याद नहीं आया और हर पति ने अपनी पत्नी का साथ देकर खुशी खुशी अलग हो गए.... निभाना कभी नहीं सीखा... लड़ना कभी नहीं सीखा... प्रेमियों ने केवल छोड़ना ठीक समझा और घरवालों के लिए प्रेमीका को छोड़ा और पत्नी के लिए उसी घरवालों को....— % &

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5 HOURS AGO

इतनी तो राहत है अब दर्द_ए_उल्फ़त मैं... नेमत!!
हफ्तों की मशक्कत में इतवार सा सुकुन हो तुम !!

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7 HOURS AGO

वैसे कभी तन्हाई समझ नहीं आई मुझे , लेकिन हज़ारों की भीड़ में भी ख़ुद को अकेला पाया
तो लगा अकेलेपन ने ठीक से महसूस किया है मुझे

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9 HOURS AGO

मैंने कहा है कई दफ़ा कि कितने रातजगे बोए हैं,
इक उम्र गुजार दी लेकिन तन्हा मुश्किल से सोये हैं,

दुआ में मांगा करते थे हम तुम्हें हाथ फैलाकर,
सजदे में झुकाकर आसमां दाने तस्बीह के खोये हैं,

कोई बद्दुआ सी... ये ज़िंदगी रूआं रूआं सी,
दर्द को दवा बनाकर हम चाक जिगर में पिरोये हैं,

हंसने का सलीका याद नहीं, मुस्कुराने की बात नहीं,
तुमसे बिछड़कर मोहब्बत में इतना छुप छुप कर कर रोये हैं

मैंने कहा है कई दफ़ा कि कितने रातजगे बोए हैं,
इक उम्र गुजार दी लेकिन तन्हा मुश्किल से सोये हैं,

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19 HOURS AGO

प्रेमपत्र और कुछ भी नहीं
जरूरत पढ़ने पर
औरत अपने हर सपने लिख के देती है
और नीचे लिखकर देती है
चिंता मत करना मैं तुम्हें प्रेम करती हुं
और पढ़ें लिखे पुरुष
केवल नौकरी के लिए पढ़े
हर पुरूष को प्रेमपत्र लिखना शायद इसलिए नही आया की वो
हर एक को लिख कर नहीं दे सकता की मैं तुमसे प्यार करता हूं

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21 HOURS AGO

सूरजमुखी मुंह फुलाए बैठी रहती है बागीचे में
फ़िर भी रोज़ शाम को घर लौट जाता है सुरज

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22 HOURS AGO

अपनी उदासियों को पहना कर लफ्ज़ों का लिबास,
हर सफ़हों को संवारती हुं मुस्कुराहट के नकाब से..

दर्द, मायूसी, मौत अब अशआर में नज़र आने लगे है
मैं चुप्पी में जल रही हुं अपने अश्कों के तेज़ाब से..

खोलोगे तो महक मेरी किताबों से आयेगी इक दिन,
मेरे चाक_ए_जिगर महकेंगे बदले उनके गुलाब से..

पढ़ लेगा ज़माना हर्फ दर हर्फ मेरी चाहत का नशा,
इकतरफ़ा मोहब्बत सुकून होती है बदले शराब से..

पीछे काफ़िला ..दुआ में मौत... मैंने मांगा खुदा से,
सुखनवर....जुस्तजु को हटा दिया है मैंने ख़्वाब से..

अपनी उदासियों को पहना कर लफ्ज़ों का लिबास,
हर सफ़हों को संवारती हुं मुस्कुराहट के नकाब से..

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YESTERDAY AT 12:27

कौन सी दुआं करूँ जो आज तेरा पैग़ाम आ जाए,
तु मिल जाए रूबरू,तेरे होठों पर मेरा नाम आ जाए,

हम जान बचा ले पाएं कुछ भोलेभाले ख़्वाबों की,
आंख बंद हो नींद की तरह और साए में शाम आ जाए,

हम_बदन ना सही हम_सफ़र बनकर तो साथ चलें
कुछ ऐसा कर मुकम्मल, मुझको भी थोड़ा आराम आ जाए,

कोई और है जो तुझे भरभर के पीता रहा है रात दिन,
सुखनवर... बूंद बूंद तूझे बरसने में दुआएं काम आ जाए

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16 MAY AT 22:10

काश देख लेते उन्हें घर की छत से....
जो हमसे दूर है इस चांद की तरह

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16 MAY AT 17:00

इलाही,दिए लगते हैं रोशन तुम्हारी नज़रों से
जैसे कतरा कतरा बसाया हो नूर इन आंखों ने

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