उनकी बातों ने ऐसी सजावट की है, मानो चिरागों ने रौशनी से बगावत की है..
वो करे ना करे मुहब्बत हमसे ,हमने तो साजिशों से मुहब्बत की है..
और अब इश्क़ शब्द से कोई परहेज नही हमको, बस जिंदगी को नफरतों के हवाले की है..
दूर जितना जाना हो वो बादल चला जाये, अरे हमने कब भीगने की गुजारिश की है..
शोलो से निभा कर जल गए है हम भी, तभी सूखे कोयले से नई दोस्ती की है..
चिराग भले ही रूठे हो रौशनी से गुजरे दिनों से, दिल ने जल कर हरेक रातों को रौशनी की है..
ये बताये कौन उनको उन रास्तो के बारे, जिसपे चल कर हमने ऐसी जिंदगी की है..
दुश्मनी हो गयी थी रातों से हमारी, रोज लड़ते हुए उजालों से दिल्लगी की है..
उनके इरादें भले ही बदले से हो मगर, इन साजिशों ने भी हम ही से आशिक़ी की है..
उनकी बातों ने ऐसी सजावट की है, मानो चिरागों ने रौशनी से बगावत की है..
वो करे ना करे मुहब्बत हमसे, हमने तो साजिशों से मुहब्बत की है!!
वो करे ना करे मुहब्बत हमसे, हमने तो साजिशों से मुहब्बत की है!!
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