24 MAR 2017 AT 18:46

नज़राना ही तो पेश किया था,
अफसाने कैस् बन गए ||

दिल से निकले शब्द आज,
बहाने कैसे बन गए ||

हवस भरी आँखों ने घूरा मुझे;
पर वो तो अंधे थे,
इस कदर मेरे दीवाने कैसे बन गए ||

- yashu