लिपटा है हर कोई चादर में यहां,ये चादर यादों की; फरियादों की,ये चादर दर्द की; मर्ज़ की,ये चादर सपनों की; अपनों की,ये चादर गम की; मरहम की,हैं यहां भी कुछ लोग हमारे जैसे,न मिली जिनहे कभी कोई छाया चादर की || - yashu
लिपटा है हर कोई चादर में यहां,ये चादर यादों की; फरियादों की,ये चादर दर्द की; मर्ज़ की,ये चादर सपनों की; अपनों की,ये चादर गम की; मरहम की,हैं यहां भी कुछ लोग हमारे जैसे,न मिली जिनहे कभी कोई छाया चादर की ||
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