23 APR 2017 AT 12:14

लिपटा है हर कोई चादर में यहां,
ये चादर यादों की; फरियादों की,
ये चादर दर्द की; मर्ज़ की,
ये चादर सपनों की; अपनों की,
ये चादर गम की; मरहम की,
हैं यहां भी कुछ लोग हमारे जैसे,
न मिली जिनहे कभी कोई छाया चादर की ||

- yashu