एक मुददत बाद आज ज़िन्दगी में फुरसत है।
जिस आने वाले कल के शायद सपने ही देखे थे, वो कुछ वक़्त के लिए ही सही पर आज हकीक़त है।
तो फिर अब ऐसा नही की आंखों में सपने नही, सर पे जुनून नही, बस हर मंजिल पाने में थोड़ी सी मोहलत है।
उलझेंगे ज़िन्दगी की कशमकश में फिर एक बार, फिलहाल ये जो सुकून है यह खुदा की ही रहमत है।
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