VIKAS NAKHATE   (©विकास)
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Joined 9 March 2017


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15 DEC 2023 AT 23:13

आज फिर चाँद से मिलके कहा,

मुझे कहा खबर थी
तू इस तरह सारा
मंज़र रौशन कर जाएगा
जमाना देखेगा
और
मैं ना देख पाऊँगा

क्यों तो मैं

मैं छत पे नहीं आ पाया
और
घर से नहीं निकला,
और ये ख़ुदगर्ज़ चाँद
सावन की घटाओ में
मेरी तलाश में बहोत भटका..

-


6 DEC 2023 AT 22:01

रास्ता खूबसूरत है कही भटक ना जाऊँ
जहां सुकून मिले वहाँ आराम ना फ़रमाऊ

ये वादियाँ बड़ी हसीन लग रही है
इसके जाल में कही फ़स ना जाऊँ

ये सुहाना मौसम भी सफ़र में साथ चले
ऐसी कोई नाकाम सी गुज़ारिश भी कर जाऊँ

रास्ता तकते तकते , मोड़ लेते लेते
कही अनकही मंज़िल मैं मिल जाऊँ

ये रास्ता खूबसूरत है ना
मैं कही भटक ना जाऊँ…!!!

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21 MAY 2023 AT 11:17

मैं दर्जी हूं…!!!
उधड़ी उम्मीद की 
सिलवटो को छुपाता हूं...!!!

आम से कपड़ों को ,अपनी कल्पना की मेहनत से 
सिलके खास बनता हूं...!!!

रोशन सारा मंज़र कर जाता हूं
जब आंखों में दिन रात का रंग भर के
हर मखमली कपड़ो पे कैंची ✂️ से हौले हौले 
एक सुंदर तस्वीर बनाता हूं...!!!

मैं हर झरोखा 🪟🚪 भी 
मुकम्मल कर जाता हूं
और हर आम से‌ दिखने वाले
लोगो के आशियाने को बेहतरीन
बना जाता हूं...!!!



ये देखो एक अरसा बीत गया
जब हाथो की कढ़ाही बुनाई 
सिलाई को टेक्नॉलॉजी की
  मशीन निगल गयी...!!!

पर मैं हर कपडॆ का
दाग भी मिटाता हूं 
जब छिखते चिल्लाते 
फटे कपड़ो के धागे को
अपने ऐतबार से
रफ्फू कर देता हूं...!!!

मैं दर्जी हूं.....!!!

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19 MAY 2023 AT 21:41

Mai darji hu
Uddhedi ummide ki silvato
Ko chhupati hu..
Aam se kapado ko
Apani Kalpana ki mehanat se
silake khaas banati hu…!!!



Roshan saara manzar
Kar jaati hu
Jab aankho me din raat
ka rang bhar ke
Har makhmali kapado pe
Kainchi ✂️ se
haule haule
ek sundar tasvir banati hu…!!!

Ye dekho Ek arsa bit gaya
Jab haatho ki kadhai, bunai aur silayi ko
Technology ki Machin kaise nigal gaya

Par mai har daag mita jaati hu
Jab chhikhate chillate fate
kapado ke dhaago ko
Apane aitbaar se
Raffu kar jaati hu…!!!

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5 JUL 2022 AT 1:15

Mai musafir hu
Har khushnuma
Lamho kaa....!!!
Milo ki safar me
Har Parwaaz ke
Andaz kaa,
Mai musafir hu har
khushnuma
Lamho kaa.....!!!!!

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26 JUN 2021 AT 18:54

माज्या कुंपनातला वारा
कधी झूळझुळणारा
तर कधी चंचल मनाप्रमाणे
सैरावैरा पळणारा

कधी इवल्याश्या
खिडकीतून
सूर्य किरणां
सोबत कवडसे वेचणारा

संध्येला मनात
खळखळत आनंदाचे
नौके वल्लव्हणारा
तर कधी गच्चीतल्या
इवल्याश्या रोपट्याना
खदखदून जागवणारा

सुसाट “वारा” ….!!!!

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26 JUN 2021 AT 11:57

Tu sard hai tu aag 🔥 hai
Tu jalati armano ki mashal hai ,

Tufano me tu chattan hai
Raakh banake bhi tu aag hai

Manjil ko bhi tera intzaar hai
Rukavato me bhi path-paar hai

Tu sard hai , tu aag hai….!!!

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17 MAY 2021 AT 17:59

पाऊस

मी उन्हाच्या काहिलीने
झुरत राहावं
आणि तू भुरभुरत
आकाशातून
रिमझिम
असा बहरत राहावं

तू वेगवान वाऱ्या बरोबर
आंधळी कोशिंबीर खेळावं
छतातून
तण-वृक्षातून
टप टप
असं बरसावं
आणि
मी तुला
इवल्याश्या
खिडकीतून
शांतपणे बघावं

कधी चक्रीवादळाचा पत्ता देऊन
तरी कधी धरणाचे संचय फोडून
सतत बरसणारा असा
माझा
रिमझिम पाऊस

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14 MAY 2021 AT 11:52

Virtual

सगळ कस virtual होत चाललंय
मनाच पान सुद्धा आठवणींच्या जाळीने
सुप्त होत चाललंय ...!!!

मैलांचे अंतर आणि अंतरीचा दुरावा
Video कॉल ने क्षणात दूर चालले आहे
पण सगळं कस virtual होत चाललंय

प्रत्यक्ष भेटीचा सुगंध कुठेतरी हरवलय
कारण internet च्या अरण्यात
मन कुठे रमलय ,
हास्य आणि स्मित
हास्ये आता फक्त 🅂🅃🄾🅁🅈
मध्ये मध्ये गवसतो ;
प्रत्यक्ष चेहरे मोहरे जणू तो
स्वप्नातच बघतो आणि
बघा म्हणून कस
सगळं virtual होत चाललंय

Technology च्या विश्वात मनाचं
केविलवाणं बंध जोडणार “पत्र” पण
हरवलंय ,
Email-Fax च्या जोडीने मात्र अंतर वाढवलंय
आणि सगळं कस virtual होत चाललंय...!!

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9 MAY 2021 AT 10:19


आज फिर ठंडी रोटी खाई
माँ तेरी बहोत याद आई........

लौटता हु जब देर घर से मै
आहट ऐसी की आँखे चार ना हो पायी
माँ तेरी बहोत याद आई......

रजाई में करवट लेकर भी
पलकें आँखों को चूम ना पाई
माँ आज फिर तेरी बहोत याद आई.....

सिसक सिसक के रोते हुए
जब मैंने कोई जिद है ठानी
माँ तूने वो पूरी ही करवानी
इसलिए माँ आज तेरी बहोत याद आई......

रंग भरे है जीवन में तूने खुशीयों के
किल बनकर हमेश इनायत भरी
तस्वीर सिर्फ तूने ही सवारी
माँ आज तेरी बहोत याद आई......

तेरी छोटी सी लोरी और सुन्दर सी
झूटी ही सही परियो की कहानी
अब इस वक्त के दरमियान वापस ना आनी
माँ आज फिर तेरी बहुत याद आई........

खो गया हु कही गर्दिश में
देश विदेश की चकाचौंध में
फिर से तेरे प्यार की नूर धुंधली सी हैं छाई
माँ आज फिर तेरी बहोत याद आई .........

- विकास

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