3 JAN 2017 AT 12:26

अनजाने सायें उसे खोफज़दा करते रहे,
जो मुखोटें पहने चेहरों से मुखातिब हुई,
सायों से नेकी की उम्मीद हो गयी।

-वैदेही खंडेलवाल


-