जो भूल जाये तुम्हारी आँखे अगर चेहरा हमारा तो बताना,
एक आईना ढूंढ लूंगा मैं खुद से मुखातिब होने के लिए;
जो ना चाहो अपनी ज़िंदगी में साया हमारा तो बताना,
गहरा अंधेरा मांग लूंगा जीने के लिए;
जो दिल मे आ जाये तुम्हारे किसी और का नाम तो बताना,
एक सज़ा माँग लूंगा यूँ ज़िंदगी काटने के लिए;
जो करो तुम रिहा मुझे साँसों से अपनी तो बताना,
एक कफ़स ढूंढ लूँगा मैं सारी उम्र के लिए।
उमंग ~ निहारिका
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