28 MAY 2017 AT 8:52

तेरी कब्र की पेशानी पर सर रखते हुये यह एहसास हुआ कि हूँ मैं हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाला,
लेकिन मोहब्बत का तो कोई धर्म नहीं होता,
जो लेटा है इस कब्र में अगर उसे ऐतराज़ नहीं,
तो बेवजह पड़ी इन मज़हबों की दीवारों को कोई क्यूँ नहीं सीता,
राम में रहीम है और रहीम में राम है,
जो होना था सो हो गया पर अब तो सब एक से और सब आम है

- Tripta_tanu_Nanwani