23 MAY 2017 AT 15:25

मौहब्बत तुम्हारी इबादत हमारी...
ख़ुदा की कसम... ना ख़ुदा हो गये तुम।

रुलाने की बातों से हँसाने की ज़िद है..
उफ़ ये सितम...क्या से क्या हो गये तुम।

तेरी बेरुखी को क्या नाम दें हम...
रहे पास फिर भी...जु़दा हो गये तुम।

नहीं फर्क कोई किसी बद्दुआ से...
सितमगर मेरी... हर दुआ हो गये तुम।

तुम्ह़े ढूँढती हूँ मेरी धड़कनों में...
न जाने कहाँ...गुमशुदा हो गये तुम।

तेरे दिल की महफ़िल हमीं छोड़ देंगे...
बहुत भीड़ है...गुलसिताँ हो गये तुम।

- Taru