QUOTES ON #फ़ाइल

#फ़ाइल quotes

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11 FEB 2019 AT 22:29

पिछले साल उसे प्रकाशकों के चक्कर लगाते देखा था हाथ में कहानियों की फ़ाइल लिये।

कल वो फिर मिला था। कहानियाँ अब भी थीं उसके साथ मगर फाइल में नहीं, किताब के रूप में। अब वो पाठक ढूँढने में व्यस्त था।

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8 OCT 2020 AT 20:10

सरकारी मेहमान हूँ, कुछ वज़न तो डालो
यूँ बे-वजह फाइलों की धूल नहीं उड़ाता.!

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4 MAY 2019 AT 6:40

वो गुज़र गया जहां से,
अपनी पेंशन की फ़ाइल ढूंढते ढूंढते....
सरकारी मुलाज़िम भी कह ना सका,
कि दादा कुछ वजन रख दो दस्तखत करने को....!

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28 AUG 2022 AT 19:40

जमीन पर उगाने से पहले
उगायी गयी होगी
न जाने कितनी फ़ाइलों में
वह इमारत
जो आज गिरा दी गयी।

रेत कंक्रीट में मिलकर कंक्रीट सी हो जाती है
पर आज देखा कंक्रीट को रेत होते।

देश का पैसा पानी हो गया
किसी की रिश्वतखोरी के कारण।

एक इमारत ही नहीं गिरायी गयी,
बल्कि तोड़े गये कितनों के सपने
जिन्होंने न जाने किस तरह जुटायी होगी पूँजी
अपने इस सपने के लिये।

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28 JUN 2022 AT 8:39

221 2121 1221 212
दफ़्तर के हर दराज़ में रख्खे हुए हैं हम
फ़ाइल की इक नियाज़ में रक्खे हुए हैं हम।1

सरगम सी ज़ेहन-ओ-दिल में तुम्हारे जो बज रही
उसके हर एक साज़ में रक्खे हुए हैं हम।2

गुजरा जो वक़्त उसके लिए रो रहा है क्यों
तेरे ही कारसाज़ में रक्खे हुए हैं हम।3

होगी कभी न फ़ाश मुहब्बत वो हमनवाँ
सीनेे के दफ़्न राज़ में रक्खे हुए हैं हम।4

पूछा है पांचों वक़्त ख़ुदा से दुआ में ये
क्या उसकी भी नमाज़ में रक्खे हुए हैं हम।5

अपनी अलग ही दुनिया में रहती है वो परी
गो उसके इस मजाज़ में रक्खे हुए हैं हम।6

हसरत से जो तुम्हें "रिया" है देखता ये चाँद
उसकी अदा-ओ-नाज़ में रक्खे हुए हैं हम।7

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19 AUG 2021 AT 20:28

आ गया बरसात का मौसम सुना है आजकल
फ़ाइलों में जो बने थे बाँध वो बहने लगे

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29 MAY 2019 AT 13:21

तेरी मोहब्बत के दफ्तर में पड़ी, मेरी ईमानदार अर्जियों को तूने कुछ यूं ही गवा दिया,

तूने किसी ओर से रिश्वत लेकर, बेइमान अफसर जैसे मेरी फ़ाइल को भी दबा दिया।

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8 SEP 2019 AT 23:46


बीएड का सफ़र याद आता है जब एंट्रेन्स का पेपर दिया था, बाहर निकलते ही बीएड कॉलेज का मेला लगा था, फ़िर कॉलेज का आलोटमेंट हुआ था, और पारिजात को हमने चुना था, नेहल मेम की अगवाही में , कॉलेज में पहला कदम रखा था, सब नए चहेरो से अनजाना परिचय हुआ था , बाकी की कैप्शन में

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9 JUN 2023 AT 23:30

आज भी तुम मुझे,
सरकारी फ़ाइल से लगते हो।
जिनकी शुरुआत तो होती हैं,
अंत नहीं हो पाता हैं।
कितना ज्ञान अपने अंदर समेट कर भी,
तन्हा सा रह जाता हैं।
तुम्हे समझने के लिए,
सरकारी बाबू बनना पड़ता हैं,
अधिकारियों का ज्ञान भी,
अधूरा रह जाता हैं।

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20 JAN 2018 AT 0:05

ये कोर्ट में पड़ी फाइलो का अंबार देखो
ना जाने कितनी ही कहानियां दबाये मूक बैठी हैं।
किसी की माँ का इंतज़ार समेटे बैठी है
किसी के आंसुओं की बौछार छिपाये बैठी है
किसी का प्यार छिपाये बैठी है
किसी की अस्मिता, किसी की वीभत्सता
किसी की मुस्कान चुराए बैठी है
खुलती हैं जब ये फाइले कुछ आंखों में उम्मीद जाग उठती है
शायद, शायद आज इंसाफ होगा
पर हर तारीख़ पर बस तारीख़ और फिर अगली तारीख़ मिलती जाती है

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