QUOTES ON #ख़याल

#ख़याल quotes

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25 JAN 2019 AT 4:26

बर्फ़ की छीटें गिरने लगी आहिस्ता आहिस्ता,
टीला बन गया घर जैसा,
और फिर तेरा ख़याल आया.

धुंदली सी आंखे ढूंढ रही थी किसी को,
वो दिख गयी उसे आते हँसते हुए,
और फिर तेरा ख़याल आया.

झगड़ रहे थे वो दोनों किसी बात पर, चलते चलते,
फ़िसल गयी बर्फ़ पर, तो झटसे उसने संभाला,
और फ़िर तेरा ख़याल आया.

आ ही रही थी नींद और रुक गयी कहीं,
ढूंढने ही जा रहा था कि बस..
और फिर,
तेरा ख़याल आया...

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8 OCT 2021 AT 18:57

यह जो मुहब्बत है इसमें रंज भी हैं
मसर्रत भी है,
यह जो मुहब्बत है...
बड़ी मुफ़्लिशी है पऱ इसमें बरक़त भी है
दूरी बहुत है चाँद से
पऱ उससे कुर्बत भी है,
यह जो मुहब्बत है...
इसमें रंज भी हैं मसर्रत भी है,
इक मैदान सा है पर्वत भी है
इक सीधी सी राह में.. करवट सी है,

क्या कहें.. के दिल को जिससे नफ़रत सी है
उसे पाने की कमबख़्त हसरत भी है,
यह जो मुहब्बत है.. इसमें रंज भी हैं
मसर्रत भी है...!

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8 DEC 2019 AT 15:15

आज फिऱ तेरे ख़यालों में, बड़ी दूर तक गया था मैं,
आज फिऱ तेरी तलाश में, आज फिऱ भटक गया था मैं ,

कितनी सुक़ून सी थी वो ख़ुशी, तेरी आग़ोश में वो ज़िन्दगी
उस जवां-जवां से आलम में, जब बच्चे सा सिमट गया था मैं,

काश मैं रुक जाता वहीं, उस वक़्त को गुज़रने से रोकता
जब जाते जाते जो मुड़ के, फिऱ तुझसे लिपट गया था मैं,

कल ख़्वाब में तुम आये थे, कितने जुगनू जगमगाये थे
काश तुम देखती, के कितना चमक गया था मैं,

आज फिऱ तेरे ख़यालों में, बड़ी दूर तक गया था मैं..!

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18 JAN 2020 AT 23:01

वो थी ही कुछ ऐसी बला
इक ख़ूबसूरत ख़्वाब सी
के छूने को मन मचल गया
बस फ़िर सबकुछ ही बदल गया,
जाने वो क्या चाह थी
ना मंज़िल थी ना राह थी
मेरी मद्धम सी सारी कोशिशें
वो इक तीब्र से प्रवाह सी थी,
मैं दरिया एक सीमा में
वो लहर नदी की बह गई
देखता रहा पानी का बुलबुला
उम्मीद डूबती सी रेह गयी

आसमां तारों का समेटते ना बनां
गई खवाईशें बिख़र, जाने कहाँ-कहाँ
वो चाँद सी ही रही, मैं अमावस के रात सा
अब क़भी-क़भी गुज़रता हूँ, इक याद में इक याद सा,
आज फिऱ समेटा उसे, आज फिऱ मैं बिख़र चला
वो थी ही कुछ ऐसी बला...इक ख़ूबसूरत ख़्वाब सी!

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9 JAN 2021 AT 15:28

सोचते-सोचते तुम्हें गुज़र गईं जो
वो गुमसुम सी रातें सारी याद हैं,
लेके हथेलियों पे तुम्हारे ख़यालों की बूंदें
वो भीगी सी बरसातें सारी याद हैं,
आँखे जो एक टक तकती थी रस्ता
वो मुलाक़ातें तुम्हारी सारी याद हैं,
गले से लग कर धड़की थी जो
वो साँसें तुम्हारी सारी याद हैं,
हाँ-नां में गुज़र गई जो
वो बातें तुम्हारी सारी याद हैं,
वो पहली मुहब्बत की फ़रामोशी
वो सब सौगातें.. तुम्हारी सारी याद हैं,

यह बैठे बैठे यूँ ही हँसना-मुस्कुराना
वो यादें तुम्हारी सारी याद हैं
शुक्रिया आँसुओं को रास्ता देने वाले
यह नम आँखे हमारी भी.. तुम्हारी याद हैं!!

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6 JAN 2021 AT 11:08

कल.. क्या ख़ूबसूरत.. हम रात गुजारे
ख्वाबों के शयन पे था मैं.. प्रिय साथ तुम्हारे,
थे कल्पनाओं की चादर पे एहसास सब नग्न
उफ़्फ़..बड़ती सी वो धड़कनों की गति..
औऱ साँसें वो मद्धम-मद्धम,
जिस्म पे तुम्हारे चुंबन से बनते वो कोमल से छल्ले
तुम्हारे स्पर्श की तपस में सूखते जिस्म के दो पल्ले,
थे होंठ से होंठ.. बाहों से बाहें लिपटी
मिटती तृष्णाओं की वो असीम सी तृप्ति,

आँख खुली तो.. अंतहीन खेद था
मुहब्बत का यथार्थ तो प्रिय..
अब भी अभेद्य था!!

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17 JUL 2017 AT 10:21

जब भी होता हूँ एकान्त में,
घेर लेती है भीड़ मुझे,
मेरे ख़यालों की

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17 APR 2021 AT 8:34

ज्यूँ-ज्यूँ छूटता हर चेहरा जाये
मर्म ज़िन्दगी का गहरा जाये,

ना जाने क्यूँ जाये हर ख़्वाब निकल
पऱ आंखों से ना ख़्वाईशों का पहरा जाये,

ना जाने आज़कल यह किस सफ़र पे हूँ
के हर तरफ़ बस सहरा जाये,

कहे पंछी.. बिन सवा के
अब.. कितना आसमाँ पे लहरा जाये,

जीवन राह में धूप... बहुत है
क्यूँ ना अब थोड़ी देर.. छाओं में ठहरा जाये!!

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21 SEP 2021 AT 19:42

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13 OCT 2021 AT 18:02

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