आज फिऱ तेरे ख़यालों में, बड़ी दूर तक गया था मैं,
आज फिऱ तेरी तलाश में, आज फिऱ भटक गया था मैं ,
कितनी सुक़ून सी थी वो ख़ुशी, तेरी आग़ोश में वो ज़िन्दगी
उस जवां-जवां से आलम में, जब बच्चे सा सिमट गया था मैं,
काश मैं रुक जाता वहीं, उस वक़्त को गुज़रने से रोकता
जब जाते जाते जो मुड़ के, फिऱ तुझसे लिपट गया था मैं,
कल ख़्वाब में तुम आये थे, कितने जुगनू जगमगाये थे
काश तुम देखती, के कितना चमक गया था मैं,
आज फिऱ तेरे ख़यालों में, बड़ी दूर तक गया था मैं..!
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