QUOTES ON #हूँ

#हूँ quotes

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मरीजें इश्क़ हूँ.. मैं
दवा ...दवाई... दवाखाना कहाँ हैं....
मरीजें इश्क़ था ...मैं
ज़ाम....शराब...मयख़ाना कहाँ हैं...

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26 MAY 2019 AT 7:20

मिल जाए कोई परी,
मैं इस लिए लिखता हूँ,
दिल के शुकुन के लिए नहीं,
उसकी इबादत के लिए लिखता हूँ।।
कोई तो हो जो सुने,
मेरी बातों को,जज्बातों को,
इल्म हो उसे भी लिखने की,
मैं इसलिए लिखता हूँ।
बुढ़ापे में जब तन्हा हूँगा,
बुढ़ापे की लाठी जब साँथ होगी,
उसके साथ बिताये,
हर वक़्त की चाभी साथ होंगी,
मैं इसलिए लिखता हूँ।।
जाऊंगा जब दुनिया को छोड़ कर,
मेरे और उसके लिखे किस्से,
कहीं फिर से पढ़े जाएंगे,
मैं इसलिए लिखता हूँ।।

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15 JUN 2020 AT 3:35

फतेहपुरिया छोरा हूं,
शरारत से भरा,
थोड़ा नटखट सा,
मगर फिर भी,
बड़ा शांत हूं,
समझने वालों के,
समझ में नहीं,
बस दिमाग में,
छा जाता हूं।
बस यूं ही,
कुछ ना कुछ लिखते,
चला जाता हूं।

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9 MAY 2020 AT 2:32

शीर्षक:-"मैं अकेला हूँ मैं काफी हूँ "

मैं अकेला हूँ मैं काफी हूँ,
अपनों की हर गलती की मैं ही माफी हूँ ||
कोई प्यार करे ,कोई दुत्कारे ..(2)
मैं फिर भी सबको अपनाने को राजी हूँ ||

हाँ मैं अकेला हूँ मैं काफी हूँ......

ना हिन्दू हूँ ना नमाजी हूँ,
ना पण्डित हूँ ना काजी हूँ||
मैं सबको अपनाना जानता हूँ....(2)
तभी तो मैं सबका चहीता पाजी हूँ||

हाँ फिर भी मैं अकेला हूँ मैं काफी हूँ........

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19 APR 2021 AT 22:03

Nahi rahi shikayat ab
teri nazar andaji se,
Tu baakiyo ko khush rakh
ham tanha hi acche hain,

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19 MAR 2021 AT 21:13

कहानियाँ
और उपन्यास
स्त्री के जीवन का वो
हस्ताक्षर हैं
जिन अनुभवों से
स्त्री कभी न कभी
गुज़री है.

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ये दिल!
हर वक्त,
तेरी ही क्यूं सुनता हूं?
इतने धोखे खाता हूं,
फ़िर भी ख्वाबों के कसीदे,
क्यूं बुनता हूं?

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25 APR 2021 AT 15:08

#बंजारा

अन्जानी राहो का मारा,
पुछ पुछ कर बनाय दोस्त सारा ,
बंजारा बंजारा ।

ना कल की फिक्र ना आज का पता
भटकते जानवरो की तरह
बंजारा बंजारा ।

करे अच्छाई , पाप , गुन्हा सारा ,
किस्मतो , कर्मो का मारा,
बंजारा बंजारा ।

हस्ती उनपर दुनिया सारा ,
हरदम भारी बोझ का मारा
बंजारा बंजारा ।

ना उसे दोस्ती , बन्दू , परिवार प्यारा ,
ना वो किसी के साथ दो पल रह पाया ,
भटकते में निकला जीवन सारा
बंजारा बंजारा ।

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23 OCT 2022 AT 10:15

अब मैं न हँसता हूँ न रोता हूँ
बस ख़ामोश रहता हूँ
अपनी सारी बाते मन ही मन में करता हूँ

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तेरी नफरत को,
हर रोज....
थोड़ा-थोड़ा कर पीता हूं।
इसी बहाने सही तुम में जीता हूं।

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