कौन कहता है इश्क़ में शीरीं फ़रहाद होना जरुरी है कौन कहता है इश्क़ में हीर रांझा सा मरना जरुरी है इश्क़ कभी कभी तुम सा भी होता है इश्क़ कभी कभी मुझ सा भी होता है जब मैं साँस लेती हूँ अपनी हथेलियों में नाम तुम्हारा छिपाकर , इश्क़ तो ये भी है न जब तुम मेरी परवाह करते हो , रातों की नींद मेरे नाम करते हो इश्क़ होता है जब मेरी मेहँदी का रंग लोगो को मेरी किस्मत पर रश्क़ देता है इश्क़ होता है ये भी जब तुम्हारा खफ़ा होना मेरे दिल में बेमौत वाली हूक सी क़सक उठाता है जब तुम अपनी की गलतियों की दिल से माफ़ी मांगते हो इश्क़ होता है मेरी कविता में तुम्हारा ज़िन्दा होना इश्क़ होता है तुम्हारी जुदाई में मेरा अजंता होना इश्क़ ये भी है जब तुम दुनिया के सामने इक़रार करते हो मेरे जाने की बात से सारी दुनिया की रस्मों का तिरस्कार करते हो इश्क़ तुम हो इश्क़ मैं हूँ राधा सी नही मीरा सी नही बस चाँद सा और इस रात सा जब मेरे साथ की ख़ातिर पुरे 12 घड़ियों का इन्तज़ार करते हो हाँ मैं हूँ तुम्हारी मेरी अखंड सांसो तक क्यों की तुम मुझे मुझसे ज्यादा प्यार करते हो मेरी हंसी की ख़ातिर सारे एहतराम करते हो ।
एक पल में मुझे हर खुशी मिल गई थी,,,, हुआ जब सवेरा मेरी आंख खुल गई थी,,,, वो मेरा नीद मैं हसीन सपना था यारों,,,, एक पल के लिए जैसे मुझे हीर मिल गई थीं,,,,